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बलराम की कथाएँ

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :30
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4971
आईएसबीएन :81-7508-410-3

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बलराम की कथा....

Balram Ki Kathayein A Hindi Book by Anant Pai - बलराम की कथाएँ - अनन्त पई

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

 

कृष्ण के बड़े भाई बलराम कृष्ण के बचपन के हर साहसिक कार्य, युद्ध और उपलब्धि में सहभागी रहे। बल और वीरता में अद्वितीय होने के बावजूद रिश्तेदारों में युद्ध के विचार से भी उन्हें पीड़ा होती, इसलिए पांडवों और कौरवों के बीच हुए महाभारत के युध्द में वे तटस्थ रहे। बलदेव और बलभद्र भी बलराम के ही नाम हैं। इस अमर चित्र कथा में प्रस्तुत हैं कुछ उनके बचपन और उनके विवाह की कथाएँ।
बलराम की कथाएँ

राम और कृष्ण का बचपन बीता गोकुल में।
गाँव के अन्य ग्वाल-बालों के संग दोनों भाई रोज अपनी गायें चराने जंगल में जाते।
एक सुबह-

राम ! कृष्ण ! वह देखो ! पके बेर ! कितने सारे !
देख क्या रहे हो ? चलो, तोड़ें।
ठहरो, राम !
वह पेड़ धेनुकासुर के इलाके में है।

उस इलाके में जाकर कोई जानवर जिंदा वापस नहीं लौटता।
और न कोई ग्वाला ही।
क्या खयाल है, कृष्ण ?
तुम लोग वे बेर खाना चाहते हो ?
हाँ ! हाँ !
तुम्हारे सवाल का जवाब मिल गया, राम।
राम बेर के पेड़ के नीचे पहुँचा....
......और लगा उसे खूब जोर से हिलाने।

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