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महान बनो

रामबीर शर्मा

प्रकाशक : एम. एन. पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :24
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5043
आईएसबीएन :81-7900-022-2

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महान बनो...

Mahan Bano A Hindi Book by Rambeer Sharma

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

सबके मित्र बनिए

हमें सदैव अपने आपसे यह पूछना चाहिए इस संसार में हमारा कोई शत्रु या विरोधी तो नहीं है ? यदि कोई शत्रु लगे तो हम अपने अच्छे व्यवहार तथा मधुर बोल से उसे अपना मित्र बना लें क्योंकि शत्रुता मानव के विकास की सबसे बड़ी बाधा है।

जिसका संसार में कोई शत्रु नहीं होता, उसे अजात शत्रु कहा जाता है। ऐसे लोग अत्यन्त नम्र, उदार, सरल, अथवा निराभिमानी प्रकार के होते हैं।

संसार की सर्व मनुष्य़ात्माएँ एक ही परमपिता परमात्मा अर्थात् ईश्वर की सन्तानें हैं। इस नाते से संसार के हम सब लोग एक ही ईश्वरीय परिवार के सदस्य हैं और आपस में भाई-बहिन हैं।

मनुष्यों के अलावा हमें पशु–पक्षियों से भी मित्रता का व्यवहार करना चाहिए। एक जंगल में एक किसान का लड़का रहता था। वह वन में पशु चराने जाया करता था। उसकी सब जानवरों से मित्रता थी। वह भालू शेर जैसे हिंसक जानवरों के आगे भी निर्भय होकर डोलता था।

एक दिन कुछ शिकारी जंगल के पेड़ काटने व पशुओं का शिकार करने आये। लड़का भागकर गांववालों को बुला लाया। गाँव वालों ने शिकारियों को एक भी पेड़ न काटने दिया। सारे जानवरों की रक्षा हो गयी। दयावान लड़के ने जंगल के जीव जन्तुओं की रक्षा की।

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