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प्रेरक बाल कहानियाँ

मुकेश नादान

प्रकाशक : स्वास्तिक प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2003
पृष्ठ :24
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5047
आईएसबीएन :81-88090-04-2

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बाल कहानी संग्रह...

Prerak Baal Kahaniyan A Hindi Book by Mukesh Nadan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

लालच का फल

बहुत समय पहले की बात है। किसी गाँव में एक ब्राह्मण परिवार रहता था। पण्डित दीनदयाल उस परिवार के मुखिया थे। गांव के सभी लोग पण्डित जी का आदर करते थे।

एक दिन अचानक पण्डित जी के घर से उनकी पत्नी व बच्चों के रोने की आवाज आई। लोगों ने जैसे ही पण्डित जी के घर जाकर देखा उन्हें पता लगा कि पण्डित जी का अचानक देहान्त हो गया है। परिवार का रोना-बिलखना देखकर गांव वालों की आँखों में भी आँशू आ गए। सभी गाँव वालों ने मिलकर पंण्डित जी का दाह-संस्कार कर दिया।

धीरे-धीरे समय बीतता गया। पण्डित जी के परिवार वालों को भी धैर्य आ गया। मनुष्य जन्म लेता है और मरता है, किन्तु आत्मा नहीं मरती। आत्मा केवल शरीर बदलती है। पण्डित जी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उनकी आत्मा ने एक सुनहरे हंस का रूप ले लिया। हंस को अपना पूर्व जन्म अभी तक याद था।

वह जब भी अकेला होता अपने परिवार की याद उसे सताने लगती। वह यह सोचकर दुखी रहता कि न जाने उसकी पत्नी व बच्चे किस हाल में होंगे। यह सोचते-सोचते वह दूर अपने परिवार की खोज में निकल पड़ा।

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