हास्य-व्यंग्य >> चोर पुराण चोर पुराणविमल कुमार
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मेरे भी दो हाथ, दो आंखें, दो कान हैं। मैं भी हंसता-रोता हूं। मैं भी गाने गाता हूं। मैं भी नहाता हूं। मैं भी किसी के घर जाता हूं। मेरी भी पत्नी है, बाल-बच्चे हैं।
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