कहानी संग्रह >> बदलते रिश्ते बदलते रिश्तेकृष्ण गोपाल रस्तोगी
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भारतीय परिवारों का पारंपरिक परिवेश आज बदल रहा है। बदलते परिवेश में परिवार के सदस्यों के परस्पर ‘रिश्ते’ भी बदल रहे हैं। प्रस्तुत हैं उन्हीं बदलते हुए रिश्तों की अनूठी और हृदयस्पर्शी कहानियाँ।
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