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कहानी संग्रह >> उगते सूर्य की लाली

उगते सूर्य की लाली

नरेन्द्र राजगुरु

प्रकाशक : हिन्दी बुक सेन्टर प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :133
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 5350
आईएसबीएन :81-85244-85-5

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मेरी माँ मुझे अँधेरे में स्नान कराती है, वह मुझे चमकती सूरज की रोशनी में कपड़े पहनाती है और बिजली की रोशनी में मेरे बाल संवारती है, लेकिन अगर मुझे चाँदनी के प्रकाश में घूमने की इच्छा होती है तो वह मेरी कमर में कमरनाल की दुहरी गांठ बांध देती है।

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