कहानी संग्रह >> उगते सूर्य की लाली उगते सूर्य की लालीनरेन्द्र राजगुरु
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मेरी माँ मुझे अँधेरे में स्नान कराती है, वह मुझे चमकती सूरज की रोशनी में कपड़े पहनाती है और बिजली की रोशनी में मेरे बाल संवारती है, लेकिन अगर मुझे चाँदनी के प्रकाश में घूमने की इच्छा होती है तो वह मेरी कमर में कमरनाल की दुहरी गांठ बांध देती है।
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