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कहानी संग्रह >> जीवन के कई रंग रे

जीवन के कई रंग रे

गुणमाला सोमाणी

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5433
आईएसबीएन :0000

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रात के दस बज रहे थे, पूर्णिमा का दिन था इसलिए पूर्णता को पहुँचता हुआ चन्द्रमा मन्दशील प्रकाश बिखेरता हुआ आकाश में दृष्टिगोचर हो रहा था।

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