योग >> योग और योगासन योग और योगासनस्वामी अक्षय आत्मानन्द
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‘योगश्चित्तः वृत्ति निरोधः’। इस सूत्र का अर्थ है-योग वह है जो देह और चित्त की खीच-तान के बीच मानव को अनेक जन्मों तक भी आत्मा दर्शन से वंछित रहने से बचाता है। चित्तवृतियों का निरोध दमन से नहीं, उसे जानकर उत्पन्न ही न होने देना है।’
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