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कहानी संग्रह >> विराज बहू

विराज बहू

शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय

प्रकाशक : सत्साहित्य प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 5734
आईएसबीएन :81-85830-32-0

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स्वामि-भक्ति का पाठ पढ़ाकर पुरुष ने नारी को अपने हाथ का खिलौना बना लिया। विराज भी ऐसे ही वातावरण में पली थी।

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