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तीन में से घटा तीन

महिम बरा

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2003
पृष्ठ :22
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6157
आईएसबीएन :81-237-2115-3

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प्रस्तुत है कहानी तीन में से घटा तीन .....

Teen Mein Se Ghata Teen-A Hindi Book by Mahim Bara

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

तीन में से घटा तीन


रविवार का दिन था। खेत पर कोई काम नहीं था। पूरनकान्त आराम से लेटा था। बड़ा लड़का पीढ़े पर बैठा हिसाब का सवाल कर रहा था। सवाल था घटाने का। दो में से पांच नहीं घटा सका। अब एक दहाई उधार लेना होगा। एक दहाई मतलब दस। दो पहले से थे अब कुल बारह हुए। बारह में से घटा पांच। बाकी बचा सात। उधर बचा तीन। तीन में से घटा तीन, माने कुछ नहीं। यानी शून्य।

लड़का हिसाब में मग्न था। पूरनकान्त सोचने लगा, ‘‘इतनी आसानी से दस का उधार मिल गया ? एक नहीं, दो नहीं सीधे दस ? यह उधार दिया किसने?’’ वह फिर सोचने लगा, ‘‘तीन और तीन जुड़ क्यों नहीं जाते ? हां, तीन में से तीन घट जाता है।’’

पत्नी रसोई में थी। मंझले छोटे बेटे को खाना खिला रही थी। चिल्ला भी रही थी, ‘‘अरे नहीं है रे। हांडी में जरा सा है। वह भी तुझे दे दूं तो तेरे बाप को क्या दूंगी ?’’ बाप बाजार जायेंगे। वहां से गुड़ लायेंगे। तब खाना। उसने बात पूरी की। अब दूसरे को डांटा, ‘‘मत ले, मत ले वह। तेरा बाप क्या फीकी चाय पियेगा ? गाय दूध नहीं देती। खीचतान के बाद इतना ही दूध निकलता है। बिना दूध के ही चाय पी ले।’’ पूरन सब सुन रहा था। जाने क्यों, उसे हंसी आ गई।

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