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ऐसे बदली नाक की नथ

मनोहर चमोली

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :18
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6167
आईएसबीएन :81-237-4408-0

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प्रस्तुत है मनोहर चमोली की कहानी ऐसे बदली नाक की नथ...

Aise Badali Nak Ki Nath -A Hindi Book by Manohar Chamoli - ऐसे बदली नाक की नथ - मनोहर चमोली

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

लंबे-लंबे देवदार के पेड़ों से घिरा एक गांव ! नाम है पलाम। यह गांव शोर-शराबे से दूर है। आज गांव में खूब चहल-पहल है। मोहन की शादी जो हुई है। बराती नवाकोट से नई बहू लेकर अभी-अभी पहुंचे हैं। मुँह दिखाई की रस्म चल रही है।
बराती नवाकोट की चर्चा कर रहे हैं। कोई कहता- ‘‘बहुत बड़ा गांव हैं।’’ पढ़े-लिखे और इज्जतदार। नवाकोट के लोग खूब ठाट से रहते हैं। ’’

मोहन के घर में महिलाएं इकट्ठा हैं। खलिहान में जमघट लगा है। गांव की बहू-बेटियां सुबह से उतावली हो रही हैं। नई बहू को बार-बार देखने का मोह नहीं छूट रहा है। उनकी बातें हैं कि खत्म ही नहीं हो रही ।
‘‘पलाम में राधा से सुंदर कोई बहू नहीं।’’ लक्ष्मी ने कहा।
‘‘तुमने ठीक कहा। राधा पढ़ी-लिखी है सलीके से बात करती है।’’ पूनम ने कहा।
‘‘मोहन भाई के तो भाग जग गये। वो भी बहुत खुश हैं।’’रचना हँस दी।

‘‘ऐ। छोकरियों। चुप करो। ये तो बाद में पता चलेगा। शुरू में सारी अच्छी दिखाई पड़ती है। असली रूप तो बाद में ही सामने आता है।’’ कमली की मां ने लड़कियों को धमकाते हुए कहा।
लड़कियां भी कम नहीं थी। कमली की मां को खूब पहचानती थी। रचना ने एकदम कहा-‘‘चाची ! सभी बहुएं एक जैसी नहीं होती। जैसी सास। वैसी बहू। अच्छी सास को ही अच्छी बहू मिलती है।’’
‘‘रचना की बच्ची। जबान लड़ाती है। तू कहना क्या चाहती है। यही न, कि मैं खराब हूं।’’ कमली की मां को गुस्सा आ गया।

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