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सद्गति

प्रेमचंद

प्रकाशक : सत्साहित्य प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :24
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6204
आईएसबीएन :81-85830-24-x

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दुखी चमार द्वार पर झाड़ू लगा रहा था और उसकी पत्नी झुरिया घर को गोबर से लीप रही थी। दोनों अपने-अपने काम से फुरसत पा चुके तो चमारिन ने कहा,‘‘तो जाके पंडित बाबा से कह आओ न ! ऐसा न हो, कहीं चले जाएँ।’’

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