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सफल मैनेजमेन्ट के सूत्र

पार्किन्सन, रूस्तमजी

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 623
आईएसबीएन :81-7094-627-1

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पार्किन्सन-रूस्तमजी के द्वारा मैनेंजमेन्ट में सफलता कैसे प्राप्त करे को उत्कृष्ट रूप में प्रस्तुत किया गया है...

Safal Management Ke Sutra - A hindi Book by - Parkinson, Rustamji सफल मैनेजमेन्ट के सूत्र - पार्किन्सन, रुस्तमजी

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

‘सफल मैनेजमेन्ट के सूत्र’ उन सभी लोगों के लिए एक अनिवार्य पुस्तक है, जिनका मैनेजमेन्ट से किसी भी प्रकार का कोई रिश्ता है। चाहे वह मैनेजर या बिज़नेस एक्जीक्यूटिव हो, उद्यमी या सिविल सर्वेन्ट हो। मैनेजमेन्ट का कोर्स कर रहे विद्यार्थियों के लिए भी यह पुस्तक अनमोल है।

‘सफल मैनेजमेन्ट के सूत्र’ उन बहुत सी सामान्य समस्याओं के बारे में, जिनसे मैनेजरों को दो-चार होना पड़ता है, व्यावहारिक सुझाव देती है। इस पुस्तक में जो अनेक परामर्श दिए गए हैं, उनमें से अगर कुछेक भी आपके काम में सिद्ध हो सके, तो यह आपके लिए सबसे अच्छा सौदा होगा। मैनेजमेन्ट सम्बन्धी ऊंचे दर्जे की और भारी-भरकम किताबों की तुलना में, यह पुस्तक ज़मीन से जुड़े और व्यावहारिक ज्ञान से कहीं ज़्यादा भरपूर है।
यह पुस्तक पीटर ड्रकर, कून्त्ज आदि दुनिया के अनेक माने हुए मैनेजमेन्ट विशेषज्ञों के अनुभवों और विचारों की व्याख्या आसानी से समझ में आने वाली भाषा-शैली में करती है।

आभार

वैसे तो मैनेजमेन्ट के उन अनेक विद्वानों का आभार प्रकट करना सम्भव नहीं है जिसके काम से हमें इस पुस्तक को तैयार करने में सहायता मिली है पर हम पीटर ड्रकर के प्रति अपना खास धन्यवाद व आभार प्रस्तुत करना चाहेंगे, मैनेजमेन्ट के क्षेत्र में जिनकी अद्वितीय व विश्वव्यापी सफलता के बारे में अब किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। इस क्षेत्र में अनुसन्धान करने वाला कोई भी व्यक्ति पीटर ड्रकर के प्रभाव से अछूता नहीं रह सकता। प्रमुख मैनेजमेन्ट विद्वानों के विचारों का तत्त्व यहां प्रस्तुत करने के हमारे प्रयास में वे हमारी मुख्य प्रेरणा रहे हैं।

लेखक

अध्याय

1

मानवीय-सन्बन्ध


एक पूरी किताब


एक पल के लिए भी यह न सोचें कि मानवीय सम्बन्ध मैंनेजमेन्ट की किसी किताब का केवल एक अध्याय है। बिल्कुल नहीं। यह पूरी किताब ही है, क्योंकि इसके बिना आप कभी भी कुछ नहीं कर पाएँगे। लोगों के साथ सन्तोषजनक रूप से काम करना मैनेजमेन्ट के काम का सिर्फ एक हिस्सा नहीं है-सारा काम इसी पर टिका है क्योंकि किसी भी जगह मशीनों, माल व दूसरी चीज़ों के साथ कोई भी काम लोगों के माध्यम से ही किया जा सकता है।

पैसा, माल, मशीनें


पैसा, माल, मशीनें किसी भी औद्योगिक इकाई के लिए महत्त्वपूर्ण संसाधन होते हैं। पर याद रहे कि एक मैनेजर अपने लक्ष्य के लोगों के माध्यम से ही पूरे कर सकता है। इसलिए हम कहते हैं कि लोगों-उनके ज्ञान, उनकी विशिष्टताओं, उनके स्वभाव-के प्रति उचित व्यवहार उसके मुख्य कार्यों में से एक है, ऐसा नहीं है कि मैनेजमेंट कई प्रमुख कार्यों से बनता है जिसमें से एक कार्य मानवीय सम्बन्ध है। मैनेजमेन्ट मानवीय सम्बन्ध ही है।

लोगों से निभाना


आपके साथ चाहे 5,000 लोग काम करते हों या सिर्फ पाँच, अगर आपको अपना कामकाज ठीक से चलाना है तो यह बहुत ज़रूरी है कि आप उनसे निभाना जानते हों; इसलिए लोगों के साथ उचित अधिकारी लोगों के साथ अच्छी तरह निभाता है उसी को काम में तरक्की मिलती है।

निजी सम्पर्क का काई विकल्प नहीं है।


आप यह जानकर हैरान होंगे कि कितने सारे बास अपने शानदार वातानुकूलित कमरों में बन्द होकर अपने आसपास होने वाली बातों से अनजान रहते हैं। अपने पैरों से चलकर आसपास का जायजा लेने की अपेक्षा बस एक मेमो पर हस्ताक्षर कर देना आसान होता है। महान जर्मन जनरल रोमेल की सफलता का एक मुख्य कारण यह था कि वे हमेशा कार्यस्थल पर स्वयं उपस्थिति रह कर निर्देश देते, बातों की पृष्टि करते, समस्याएँ सुलझाते और देखते कि काम कैसा चल रहा है। रोमेल का यह तरीका, जो इतना सफल रहा, किसी फ़ैक्ट्री, कारोबार, विश्वविद्यालय या सरकारी विभाग में लागू किया जाए तो वहां भी इतने ही अच्छे नतीजे दिखा सकता है। लोगों के बीच निजी सम्पर्क का कोई विकल्प नहीं है, लोग अक्सर उन लोगों को नापसन्द करते हैं जिन्हें वे ठीक से जानते नहीं हैं। पर एक बार वे उन्हें जान जाते हैं तो हालात एकदम बदल जाते हैं।
मैं राम से नहीं मिल सकता। मैं बहुत व्यस्त हूँ। उसे कहो अगले महीने मुझसे मिलने की कोशिश करे।

आपके अनुसार राम कैसा महसूस करेगा ?


बहुत ही उपेक्षित। इसमें कोई शक नहीं है। यह लोगों के साथ बर्ताव करने का बहुत गलत तरीका है। राम अपने साथ किए गए इस हल्के व्यवहार को महीनों तक याद रखेगा। अगर बास केवल थोड़ी संवेदनशीलता से काम लेता तो वह इतना बेलिहाज़ व अपमानजनक व्यवहार न करता।

दृढ़ता भी आवश्यक है


जहाँ संवेदनशीलता, व्यवहार-कौशल व धैर्य महत्त्वपूर्ण हैं, वहीं इस बात पर दृढ़ रहना भी आवश्यक है कि काम ठीक प्रकार से हो। लोगों को समझें, अच्छा व्यहार करें। पर अपने कर्मचारियों को यह भी जता दें कि आप का उच्चतम स्तर चाहते हैं और उस पर कोई समझौता नहीं करेंगे। और अगर वे इस पर अमल नहीं करते तो उन्हें पता होना चाहिए कि आप कड़ी कार्यवाही करेगें। यह स्पष्ट कर दें कि आपके मखमली व्यवहार के पीछे काम को लेकर दृढ़ इरादे भी हैं।

बेहिसाब नुकसान


हैरतअंगेज़ बात है कि गुस्से में कहे गए कुछ शब्द कितना बड़ा नुक्सान कर सकते हैं। इनसे जीवन भर के अच्छे सम्बन्ध-बर्बाद हो सकते हैं। ऐसा अक्सर केवल इसलिए होता है कि लोग सोचते ही नहीं, वे अपनी जुबान पर काबू रखना भूल जाते हैं।

आप बहुत आगे हैं.....


....अगर आपके कर्मचारी अपनी निजी समस्याओं के बारे में आपसे सलाह माँगने आते हैं इसका मतलब है कि वे आपका सम्मान करते हैं और उन्हें आप पर विश्वास है। ज़ाहिर है यह एक अच्छे सम्बन्ध का संकेत है। इसे ही बनाए रखने का प्रयास करें। अगर किसी को कोई समस्या है तो उसकी बात को टोकना या अनसुना करना न शुरू कर दें। हो सकता है कि वह समस्या आपको मामूली या अर्थहीन लगे, पर उसे अनदेखा करना ठीक नहीं है। वह समस्या आपके कर्मचारी के लिए महत्त्वपूर्ण है वह आपके लिए भी महत्त्वपूर्ण होना चाहिए।

अशोक तो पुलकित हो उठा ....


....और बस छोटी सी ही बात थी। पर वह इसके बारे में कई कई दिनों तक सोचता रहेगा। आप यह जानकर हैरान होगे कि किसी छोटे से प्रयत्न से लोगों के रोज़मर्रा के जीवन पर कितना असर पड़ सकता है। अगर आपको कोई कर्मचारी बीमार दिख रहा है तो उससे उसके स्वास्थ्य के बारे में पूछें। अगर वह अपनी बीमार पत्नी की देखभाल के लिए छुट्टी पर गया था तो उसके लौटने पर उसकी पत्नी का हाल-चाल पूछें। अगर वह लगड़ा कर चल रहा है तो पता करें कि उसे क्या हुआ। उसकी बेटी की पढ़ाई के बारे में पूछें।

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