उपन्यास >> दाह दाहकेशुभाई देसाई
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प्रस्तुत उपन्यास में घने जंगलों के बीच बसे गांव दरबारगढ़ के सामन्ती परिवेश के एक ऐसे ही अभिशप्त या कहें नियति के चक्र में फँसकर रह गये पीड़ित परिवार की कथा-व्यथा है, जिसका रूपांकन कथाकार ने इस उपन्यास में बड़े ही रोचक और प्रभावशाली ढंग से किया है...
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