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नार्निया की कहानियाँ शेर बबर, जादूगरनी और वो अल्मारी

सी.एस.लुइस

प्रकाशक : हार्परकॉलिंस पब्लिशर्स इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :238
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6410
आईएसबीएन :978-817223-738

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चार बच्चे एक अल्मारी में घुसते हैं और नार्निया की दुनिया में जा पहुँचते हैं-एक ऐसा देश जो सफ़ेद जादूगरनी की ताकत में कैद है....

इस पुस्तक का सेट खरीदें Sher Babar, Jadugarni Aur Wo Almari a hindi book by C.S. Lewis - शेर बबर, जादूगरनी और वो अलमारी - सी. एस. ल्यूइस

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

नार्निया की कहानियाँ

उन्होंने एक दरवाज़ा खोला और खुद को एक दूसरी दुनिया में पाया

नार्निया.....समय के पार बर्फ़ में लिपटा.....आज़ादी के इंतजार में एक देश।

चार बच्चे एक अलमारी में घुसते हैं और नार्निया की दुनिया में जा पहुँचते हैं-एक ऐसा देश जो सफ़ेद जादूगरनी की ताकत में कैद है। लेकिन अब उम्मीद छूटने को है, महान आस्लान की वापसी ले आती है एक ज़बरदस्त बदलाव।

शेख बबर, जादूगरनी और वो अल्मारी


उस घर को तलाशने का एक अजब मज़ा था। लंबे गलियारे, ढेरों फालतू बेडरूम, किताबों से भरी दीवारों वाले कमरों की लम्बी कतारें, और एक विशाल खाली कमरा जिसमें सिर्फ एक अल्मारी थी। लूसी ने सोचा वो खोलकर देखने लायक थी। जब वह अल्मारी के अंदर टंगी फ़र कोट की कतारों को हटा कर उनके बीच घुसी, तो पाया कि वह किसी जंगल के बीचोंबीच खड़ी थी। पैरों के नीचे बर्फ़ थी और हवा में बर्फ़ के रोंवें तैर रहे थे। लूसी नार्निया की जादुई दुनिया में आ पहुँची थी।

नार्निया की कहानियाँ का यह दूसरा जोश भरा किस्सा है।

वो अल्मारी !


बात उन दिनों की है जब जंग छिड़ी हुई थी और लंदन पर हवाई बमबारी हो रही थी। पीटर, सूज़न, एडमंड और लूसी को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें एक बूढ़े प्रोफेसर के यहाँ रहने को भेज दिया गया जो देहात में रहते थे। उनका बड़ा सा घर रेलवे स्टेशन के पास ऑफिस से दो मील दूर था।

प्रोफेसर की पत्नी नहीं थी। वे अपनी हाउसकीपर मिसेज़ मैक्राडी और तीन नौकरानियों के साथ रहते थे। वे थी आइवी, मार्गरॅट और बॅटी जो इस कहानी में कुछ खास नहीं दिखेंगी। प्रोफेसर खुद काफ़ी बूढ़े थे। उनके उलझे सफेद बाल सिर और चेहरे को ढके रहते। बच्चों को वे तुरंत ही बहुत अच्छे लगें; लेकिन जब वे पहली शाम बच्चों से मिलने बाहर आए तो वे इतने अजीब लग रहे थे कि लूसी, जो उन बच्चों में सबसे छोटी थी, थोड़ा डर सी गई थी। और एडमंड, जो लूसी से अगले नम्बर पर था, हँसना चाहता था। लेकिन उसे अपनी हँसी छिपाने की बार-बार नाक साफ करने की एक्टिंग करनी पड़ी।

पहली रात प्रोफेसर को गुडनाइट कहने के बाद बच्चे ऊपर चले गए और फिर लड़कियों के कमरे में बैठ कर उन्होंने पूरे दिन के बारे में बातें की।

‘‘बुरा होते-होते बच गए, इसमें कोई शक नहीं,’’ पीटर बोला। ‘‘बहुत मज़ा आनेवाला है। वो बूढ़े अंकल तो हमें जो चाहे करने देंगे।’’

‘‘मुझे तो वे बहुत ही स्वीट लगे,’’ सूज़न बोली।

‘‘अरे छोड़ो !’’ एडमंड थक गया था और न थके होने की एक्टिंग कर रहा था। और ऐसा करने पर वह हमेशा चिड़चिड़ा हो जाता था। ‘‘अब ऐसे तो न घसीटे जाओ।’’

‘‘कैसे ?’’ सूज़न बोली। ‘‘और वैसे भी, तुम्हारे सोने का वक्त हो गया।’’

‘‘माँ की तरह बोलने की कोशिश कर रही है !’’

एडमंड बोला। ‘‘और तुम हो कौन मुझे सोने के लिए कहने वाली ? इतनी थकी हो तो खुद सो जाओ !’’

‘‘क्या हम सभी को सो नहीं जाना चाहिए,’’ लूसी बोली।

‘‘यदि हमारी आवाज़ नीचे पहुँच गई तो काफ़ी मुसीबत पड़ेगी।’’

‘‘बिल्कुल भी नहीं,’’ पीटर बोला। ‘‘मैं बता रहा हूँ कि यह ऐसा घर है जहाँ हमारे ऊपर कोई नज़र नहीं रखने वाला। वैसे भी, वे हमें सुन ही नहीं सकते। यहाँ से नीचे खाना खाने के कमरे तक दस मिनट चलना पड़ेगा और बीच में कितनी तो सीढ़ियाँ हैं और पता नहीं कितने गलियारे।’’

‘‘यह कैसी आवाज़ है ?’’ अचानक लूसी ने कान खड़े किए। इतने बड़े घर में वह पहले कभी नहीं रही थी और लम्बे गलियारों और खाली कमरों में खुलते दरवाज़ों के बारे में सोच कर उसे डर लग रहा था।

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