जीवनी/आत्मकथा >> स्वामी विवेकानन्द स्वामी विवेकानन्दनरेन्द्र कोहली
|
2 पाठकों को प्रिय 286 पाठक हैं |
स्वामी जी ने भारतमाता को अपमानित और कलंकित करने वालों के देश में पहुंचकर उनकी जनता की पंचायत में उनकी भूल दर्शाई। अपनी मां के गौरव को स्थापित किया। यह कृति इसी सारी प्रक्रिया का विश्लेषण करती है। इसे हम उपन्यास की शैली में लिखी जीवनी कह सकते हैं.....
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book