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भारतीय जीवन और दर्शन >> जन्म जन्मान्तर

जन्म जन्मान्तर

मंजु सिंह

प्रकाशक : आशा प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1998
पृष्ठ :230
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 6462
आईएसबीएन :000000000

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प्रत्येक मानव कुछ निश्चित कार्य करने के लिए इस संसार में आता है और कार्य पूरा होते ही इस संसार से चला जाता है।

Janm Janmantar

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

पराभौतिक जगत में विचरण कर चुकी, नवजीवन प्राप्त चकोरी - जीवन के सूक्ष्म दर्शन के दर्शन कर चुकी थी। ईश्वर क्या है? जीवात्मा क्या है ? जीव क्या है ? ब्रह्माण्ड क्या है ? जगत क्या है ? जगती क्या है ? कुछ भी अभेद नहीं था अब उसके लिए। अज्ञान के अंधकार का आवरण सदा-सदा के लिये तिरोहित हो चुका था और एक दिव्य प्रकाश से प्रकाशित हो रहा था उसका अन्तःकरण – जीवन क्या है ? कुछ भी तो नहीं, यह एक मिथ्या सत्य है। एक छलावा है, एक धोखा है। प्रत्येक मानव कुछ निश्चित कार्य करने के लिए इस संसार में आता है और कार्य पूरा होते ही इस संसार से चला जाता है।

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