लोगों की राय

अतिरिक्त >> वासुदेव गोस्वामी और उनका साहित्य

वासुदेव गोस्वामी और उनका साहित्य

गीता पाण्डेय

प्रकाशक : आराधना ब्रदर्स प्रकाशित वर्ष : 1996
पृष्ठ :170
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 6475
आईएसबीएन :000000000

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

377 पाठक हैं

काव्य जीवन और जगत के गत्यात्मक सौंदर्य की भावात्मक अभिव्यक्ति है। इसमें सत्य की अभिव्यक्ति, लोक कल्याण की भावना तथा सौंदर्य की स्थावना है...

Vasudev Goswami Aur Unka Sahitya - An English Book - by Geeta Pandey

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

काव्य जीवन और जगत के गत्यात्मक सौंदर्य की भावात्मक अभिव्यक्ति है। इसमें सत्य की अभिव्यक्ति, लोक कल्याण की भावना तथा सौंदर्य की स्थावना है, यह साहित्यकार के विचारों, भावों व अनुभूतियों को उद्घाटित करने का सुन्दर व सशक्त माध्यम है। यह कवि की वाणी और भावना का साकार वैभव है।

श्री वासुदेव गोस्वामी जी एक लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। आपने गद्य व पद्य में समान रूप से लेखनी चलाई है, परन्तु साहित्य प्रेमियों के समक्ष इनकी पहचान कवि के रूप में अधिक रही है। इन्होंने जहाँ अपने समय के सामाजिक, राजनैतिक धार्मिक परिवेशों में से अपनी रचना के लिए वर्ण्य विषय को ढूंढ़ा, वहीं नये विचार, नये भाव, नये आयामों व उपादानों को प्रतिस्थापित किया है। इन्होंने हास्य व्यंग्य के रूप को संवारा। इनका हास्य आदर्श के धरातल पर आसीन है। व्यंग्य के सिद्धहस्त कवि व लेखक होने के कारण इनकी रचनाओं की यह विशेषता रही है कि वे जिस पर चोट करते हैं, वह भी उस कविता के रस का आस्वादन करके मनोरंजन प्राप्त करता है। इन्होंने हास्य को छिछोड़ापन, भडैती व अश्लीलता आदि दुर्गुणों से विमुक्त बना उसे माँजकर स्वस्थ व परिष्कृत स्वरूप में प्रस्तुत किया है।

पद्य की भांति गद्य में भी इन्होंने अपने परिवेश, व परिकर के समस्त पहलुओं तथा पक्षों को देखा, परखा व अपने साहित्य का वर्ण्य विषय बनाया। इस तरह गोस्वामी जी ने वाङ्मय में उनकी भावना व वाणी का, कल्पना व यथार्थ का मणि-कांचन संयोग है, जिसमें प्राचीनता का गर्व है, और नवीनता का अभिनन्दन।

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book