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बुन्देलखण्ड की पूर्व रियासतों में पत्र-पाण्डुलिपियों का सर्वेक्षण

कामिनी

प्रकाशक : आराधना ब्रदर्स प्रकाशित वर्ष : 1990
पृष्ठ :318
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 6487
आईएसबीएन :00000000

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इस पुस्तक की रचना में जिन बीजकों, ताम्रपत्रों, शिला-लेखों, चिट्ठी-पत्रियों और दस्तावेजों को आधार बनाया गया है

Bundelkhand Ki Poorv Riyasaton Mein Patra-Pandulip - A Hindi book - by Kamini

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश


इस पुस्तक की रचना में जिन बीजकों, ताम्रपत्रों, शिला-लेखों, चिट्ठी-पत्रियों और दस्तावेजों को आधार बनाया गया है वे सब किसी-न-किसी दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। ग्रन्थ-विशेष की पाण्डुलिपि को पीढ़ियों तक सुरक्षित रखने की परम्परा तो है, पर पत्र को सुरक्षित रखना दुस्तर है–इस दृष्टि से यह पुस्तक विशेष महत्त्व रखती है।

सरसरी निगाह से देखा जाय तो चिट्ठी-पत्री संदेस का लिखित रूप है। आदमी को जब से आदमी के सम्पर्क की आवश्यकता हुई होगी, तभी से वह अपने मन की बात दूसरों तक पहुँचाने का प्रयास करता रहा और आज भी परस्पर विचारों के आदान-प्रदान का सिलसिला नित-नूतन माध्यमों की निरन्तर खोज में आगे बढ़ रहा है। पढ़े-लिखे समाज में चिट्ठी-पत्री का प्रचलन खबरों के लाने ले जाने में सदियों से समर्थ माध्यम रहा है, इसी से चिट्ठी-पत्रियाँ सामाजिक-दशा, सांस्कृतिक-स्वरूप, भाषा-विकास के साथ लेखन-परिपाटी के क्रम की अमूल्य धरोहर हैं।

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