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माइक्रोवेव से पकाये व्यंजन

तरला दलाल

प्रकाशक : संजय एण्ड कम्पनी प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 6605
आईएसबीएन :81-86469-55-90

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माइक्रोवेव से शाकाहारी भोजन बहुत ही जल्दी और खूब आसानी से पकता है और अति पौष्टिक होता है.....

Microwave se Pakaye Vyanjan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश


माइक्रोवेव से शाकाहारी भोजन बहुत ही जल्दी और खूब आसानी के पकता है और अति-पौष्टिक होता है। माइक्रोवेव से पके भोजन में करीब-करीब सभी पोषक तत्त्व ज्यों के त्यों रहते हैं, और कम-से-कम मुश्किल और मेहनत से पलक में भोजन पक जाता है। माइक्रोवेव का सिद्धान्त बहुत ही सादा है। इसमें घर्षण से गरमी उत्पन्न होती हैं, रेडियोवेव का एक प्रकार होने के नाते माइक्रोवेव भी बहुत ही तेज गति से कंपायमान होती हैं और प्रारंभिक खाद्य-पदार्थों में रहे पानी के अणुओं (molecules) को उत्तेजित करती हैं, पानी के ये अणु एक दूसरे से घिसते हैं तब घर्षण पैदा होता है। इससे गरमी उत्पन्न होती है और यह गरमी खाद्य-पदार्थों को पकाती है।

खूबी की बात यह है कि माइक्रोवेव में अन्न में रहे पानी में से गरमी उत्पन्न होती है। इससे भोजन पकाने के समय में बहुत कटौती होती है। इसके विपरित परम्परा अनुसार भोजन पकाने में पहले बरतन गरम होता है। बरतन की यह गरमी उसमें रहे खाद्य-पदार्थ को पहुँचाती है और फिर भोजन पकता है। समय की इस कटौती का फायदा यह होता है कि भोजन की पौष्टिकता अपने आप बढ़ जाती है। माइक्रोवेव से पकाने में भोजन के अधिकांश पोषक तत्त्व बचे रहते हैं, नष्ट नहीं हो पाते। माइक्रोवेव के इन सभी फायदों के साथ-साथ यह भी सिद्ध हो गया है कि जो माइक्रोवेव उपकरण दुबारा गरम करने की क्षमता में अनिवार्य और अद्धितीय था, वह बहुत कुछ ज़्यादा करने की शक्ति रखता है।

अगले पृष्ठों में आपको पचास से कुछ ज़्यादा विधियाँ मिलेंगी जिन्हें आसानी से ढूँढने के लिए, उन्हें विभागों में बाँटी गई हैं, यह सब विधियाँ तो शुरूआत है और उनका उद्देश्य पूरी तरह तब सिद्ध होगा जब वे आपको बता सकेंगी कि आप भी अपनी कल्पना से कमाल कर सकती हैं।

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