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आप भी बन सकते हैं अपने सपनों का इन्सान

डब्ल्यू.जे. बीविस

प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :191
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7152
आईएसबीएन :9788186775073

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छोटे कदमों को विशाल छलांगों में बदलिये...

Aap Bhi Ban Sakte Hain Apne Sapno Ka Insaan A Hindi Book by W.J. Beavis

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

बात बचपन की है, पर मुझे अब तक याद है। उस समय मैं पहली कक्षा में पढ़ा करता था। मेरे अध्यापक मेरा नाम लेकर मुझे पुकार रहे थे जबकि मेरा दिमाग कक्षा से बाहर कल्पना के घोड़े दौड़ा रहा था। मैं अपने सुखद दिवास्वप्न में इतना खोया हुआ था कि मुझे वास्तविक स्थिति समझने में थोड़ा समय लगा। अध्यापक की आवाज़ आज भी मेरे कानों में जैसे गूंजती है, वेस्ले बेविस, सपने देखना छोड़ो और काम की चीज़ों पर ध्यान दो।’

मुझे शुरू से ही कल्पना के सागर में डुबकियां लगाने में बड़ा मज़ा आता था। सपनों में कभी मैं फायर ब्रिगेड का बहादुर कर्मचारी बनकर भीषण अग्निकांड पर काबू पा लेता था या फिर कभी एक निडर पुलिस वाला बनकर नामी अपराधी को धर दबोचता था। इस तरह जागती आँखों से सपने देखना बचपन से ही मेरे स्वभाव में है। दिवास्वप्न देखना मेरा मनपसंद काम है। पर उस दिन अपने अध्यापक की आवाज़ सुनकर मुझे ऐसा लगा मानों सपने देखना कोई गलत बात है या एक बुरी आदत है जो जितनी जल्दी छूट जाये उतना ही अच्छा है।

धीरे-धीरे मुझे यह भी लगने लगा कि नींद के अलावा सपने देखना आलसी दिमाग की निशानी है। मैंने लाख कोशिश की कि सपने देखने की आदत छूट जाये पर मैं अपनी आदत से मजबूर था। जरा सा मौका पाते ही मन हकीकत की दुनिया से दूर कहीं कल्पनालोक में विचरण करने लगता था। मुझे यह समझने में कई साल लग गये कि सपने देखना कोई बुरी बात नहीं है। दरअसल सपनों में एक जीवनदायिनी शक्ति होती है। अपने जीवन की किताब के पिछले पन्नों पर जब मैं नज़र दौड़ाता हूँ तो पाता हूँ कि मेरे हर बड़े और सफल काम की शुरूआत एक सपने से ही हुई है। दुनिया की नज़रों में मेरी सफलता तब सामने आई जब मैंने उपलब्धि हासिल कर ली, पर मैंने तो सफलता को बहुत पहले उसी समय भांप लिया था जब मैंने पहली बार उस उपलब्धि का सपना देखा था।

स्वप्नदर्शी होने की आदत का एक बड़ा लाभ यह है कि यह योग्यता के क्षेत्र में आपको सर्वाधिक विश्वसनीय स्थिति में लाती है जो सफलता के लिये बहुत ज़रूरी है। हमारे सपने ही वह कुंजियाँ या चाबियाँ हैं जिनसे हम अपने जीवन की समृद्ध संभावनाओं के द्वार खोलते हैं। हमारे सपने ही वह कुंजियाँ हैं जिनसे हम खुद पर लादी गई सीमाओं की बेड़ियों से खुद को मुक्त करते हैं। अगली बार जब आप अपने जीवन के बारे में सोचें तो खुद से यह सवाल ज़रूर पूछिये, ‘क्या संसार मुझे मेरे सर्वश्रेष्ठ रूप में देख रहा है ?’ इस प्रश्न का उत्तर आप अच्छी तरह से जानते हैं क्योंकि यह आपकी कुंठा का एक बहुत बड़ा कारण है। आप अच्छी तरह से जानते हैं कि आपमें आपकी सार्वजनिक छवि से कहीं अधिक प्रतिभा छुपी हुई है। यह विचार ही आपको अधिक महान बनने की प्रेरणा देता है।

सपना देखने के बाद जब आप हकीकत की दुनिया में लौटकर आते हैं, तब क्या आपके सपने की अवशेष स्मृतियाँ आपको यह अहसास नहीं दिलाती हैं कि आपके भीतर एक महान व्यक्ति छुपा हुआ है जो बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा है ! यही तो स्वप्न की प्रबलतम शक्ति है। आपके स्वप्न आपको निरंतर प्रेरित करते हैं कि आप अपने जीवन को अधिक बेहतर, अधिक श्रेष्ठ बनाने के विचार को अपने जीवन का लक्ष्य बनायें।
मेरा मानना है कि यदि आपके पास सपने हैं तो आपमें महानता की संभावनायें भी हैं। मेरा यह भी मानना है कि जब आपके जीवन के उपवन में सपनों की बौछार होती है, तभी आपकी महानता के सुषुप्त बीज अंकुरित होना शुरु होते हैं।

अध्याय एक

महानता के बीजों को पानी दीजिये

कुछ समय पहले की बात है। मैं अपने मनपसंद हैमबर्गर रेस्तरां में बर्गर खाने के लिये गया। ऑर्डर देने के बाद रेस्तरां के 22 वर्षीय मालिक मारियो से बातें होने लगीं। मुझे हैमबर्गर बहुत पसंद हैं और उस दिन भी मैं अपने पसंदीदा हैमबर्गर का स्वाद चखने के लिये लालायित था। मेरी नज़र में मारियो बर्गर देश का सर्वश्रेष्ठ बर्गर था, और मजे की बात यह थी कि यह मेरे घर के करीब ही मिलता था।

जब ग्रिल पर मांस तैयार हो रहा था, तब मैं मारियो के सामने उसके ज़ोरदार बर्गर की तारीफें करने लगा। पहले तो तारीफ सुनकर उसकी आँखों में चमक आ गई, पर फिर नम्रता की आदत से मजबूर मारियो के चेहरे पर ऐसा भाव छा गया जैसे इसमें उसकी कोई खास योग्यता नहीं थी। मेरी प्रशंसा पर उसने अपनी अयोग्यता का नकाब चढ़ा दिया।
मेरी इच्छा थी कि मैं मारियो की तारीफ करते वक्त उसे यह जता सकूं कि वह अपने काम को कितने बढ़िया तरीके से कर रहा है। मारियो की कुकिंग में एक खास बात थी, पर मारियो खुद ही यह मानने को तैयार नहीं था कि वह खास बात थी–वह खुद।

फिर हम राजनीति पर बातें करने लगे। चुनाव होने ही वाले थे। मैं एक राजनीतिक दल की नीतियों के पक्ष में चर्चा करने लगा। पर कुछ ही देर में मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया। मेरे बगल में खड़ी एक युवती भी चर्चा में शामिल हो गई थी। मेरी बातें सुनकर उसने कहा, ‘आप जिस पार्टी की बात कर रहे हैं, वह केवल अपने और अमीर लोगों के फायदे के बारे में ही सोचती है। हम गरीबों की तो उसे कोई परवाह ही नहीं है।’ अचानक मैं सोचने लगा कि ज़्यादा गर्मी किसमें है—ग्रिल हो रहे मांस में या मुझमें। ज़ोरदार मारियो बर्गर के बारे में बातचीत फिर से शुरू करने का यह एक उपयुक्त समय था।
कुछ समय तक मैं उस युवती की बातों पर विचार करता रहा। उसकी भावभंगिमा व शब्दों से ऐसा लगता था जैसे उसके अच्छे या बुरे भविष्य का निर्णय राजनेताओं द्वारा ही लिया जाना है, इसलिए जब तक सरकार उसे संरक्षण नहीं देती, उसका भविष्य अंधकारमय है।

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