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प्रगति की राह पर आगे बढ़ें

जॉन एल. मैसन

प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7224
आईएसबीएन :81-8322-035-5

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कई असफल लोगों को यह एहसास ही नहीं होता है कि जब उन्होंने कोशिश करनी छोड़ी थी, तब वे सफलता के कितने क़रीब थे...

Pragati Ki Rah Par Aage Badhein - A Hindi Book - by John L Mason

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

प्रगति (momentum)-सशक्त ज़िंदगी जीने के लिए कितना बढ़िया शब्द है। मुझे पूरा यक़ीन है और इस बारे में ज़रा भी संदेह नहीं है कि ईश्वर यह चाहता है कि आप प्रगति करें। वह चाहता है कि आप अपने रास्ते की हर रुकावट को दूर कर दें। वह चाहता है कि आप आज जो हैं, उससे ज़्यादा बनें, विकास करें और आगे बढ़ें।

प्रगति के लक्षण हैं : (1) यह एकल मानसिकता वाली होती है; (2) यह विचलित हुए बिना किसी लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम करती है; (3) इसमें असीमित प्रबल इच्छा होती है; (4) इसमें एकाग्रचित्त गहनता और तक़दीर के निश्चित एहसास की ज़रूरत होती है; और सबसे बढ़कर (5) इसमें असीमित भविष्य-दृष्टि और उत्कृष्टता के प्रति समर्पण होता है।
मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक पढ़ने के बाद आप भी ज़िंदगी में तेज़ी से प्रगति करने लगेंगे। बाइबल कहती है कि आप ‘‘इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि जो व्यक्ति अच्छा काम शुरू करता है, वह अंत तक क़ायम रहता है।’’ (फ़िल. 1:6)
विश्वास रखें और ज़िंदगी में ईश्वर का दिया प्रगति का आशीर्वाद प्राप्त करें।

स्वर्णिम सिद्धांत # 1

कोयला बहुत दबाव सहकर ही हीरा बन पाता है


हमें हर दिन यह प्रार्थना करना चाहिए, ‘‘हे ईश्वर, मुझे खरपतवार जैसा संकल्प और लगन दो।’’ बड़े से बड़ा पेड़ भी एक छोटे से बीज से पैदा हुआ है और ऐसा सिर्फ़ इसलिए हुआ, क्योंकि वह बीज ज़मीन के भीतर लगातार विकास करता रहा। ‘‘हमारी ये मुश्किलें, हमारी ये तकलीफ़ें बहुत छोटी हैं और ज़्यादा समय तक नहीं रहेंगी। बहरहाल, इन छोटी-मोटी तकलीफ़ों की बदौलत हमें ईश्वर की बहुत बड़ी नियामत मिलेगी, जो हमारे पास सदा के लिए रहेगी !’’ (2 कोरिन्थियन्स 4:17, टी. एल. बी.)। हममें से कई लोग अवसर को पकड़ तो लेते हैं, लेकिन जल्दी ही उसे हाथ से फिसल जाने देते हैं।
डॉन बी. ओवेन्स, जूनियर ने इसे बहुत अच्छी तरह व्यक्त किया था : ‘‘कई लोग ज़िंदगी में इसलिए असफल होते हैं, क्योंकि वे इस सिद्धांत पर यक़ीन कर लेते हैं : ‘अगर आप एक काम में सफल न हों, तो किसी दूसरे को आज़माकर देखें।’ लेकिन इस सिद्धांत पर चलने वाले लोगों को सफलता नहीं मिलती है। इतिहास उठाकर देख लें, हमेशा उन्हीं लोगों के सपने सच हुए हैं, जो अपनी महत्वाकांक्षाओं पर अडिग रहे, जिन्होंने हार मानने से इंकार कर दिया, और जिन्होंने कभी निराशा को खुद पर हावी नहीं होने दिया। सफल होने वाले व्यक्तियों ने चुनौतियों को ज़्यादा कोशिश करने की प्रेरणा के रूप में स्वीकार किया।’’ आपका मूल्यांकन इस बात से नहीं होता है कि आप कौन सा काम शुरू करते हैं, बल्कि इस बात से होता है कि आप कौन सा काम पूरा करते हैं। अगर आपको तत्काल परिणाम दिखाई न दें, तो चिंता न करें। ईश्वर हर हफ़्ते तो भुगतान नहीं करता है लेकिन वह अंततः फल ज़रूर देता है।

हर महान उपलब्धि के लिए समय और लगन की ज़रूरत होती है लगनशील बनें, क्योंकि हो सकता है गुच्छे की आख़िरी चाबी से ही आपकी सफलता का दरवाज़ा खुलता हो। प्रतिस्पर्धी से एक सेकेंड ज़्यादा देर तक टिके रहने से आप विजेता बन जाते हैं। अपनी यह छवि बनाएँ कि आप महत्वपूर्ण और मुश्किल काम लगन से पूरे करते हैं।

अगर आपके मन में काम को अधूरा छोड़ने का लालच आ जाए तो ब्राहम्स को याद कर लें। ब्राहम्स ने अपनी मशहूर लोरी की रचना करने में सात साल मेहनत की (शायद इसलिए क्योंकि वे पियानो पर बार-बार सो जाते होंगे, बहरहाल यह मज़ाक की बात है)। मैं वुडरो विल्सन की इस बात से सहमत हूँ, ‘‘मैं किसी ऐसे काम की शुरुआत में असफल होना ज़्यादा पसंद करूंगा, जिसमें मुझे अंततः सफलता मिले, बजाय किसी ऐसे काम में सफल होने के, जिसमें अंततः असफलता हाथ लगे।’’ नब्बे प्रतिशत असफलताओं का कारण यह होता है कि लोग कोशिश करना ही छोड़ देते हैं। ‘‘और हमें सही काम करने में कभी नहीं थकना चाहिए, क्योंकि अगर हम हताश नहीं होंगे और कोशिश करना नहीं छोड़ेंगे, तो कुछ समय बाद हमें वरदानों की फ़सल काटने को मिलेगी’’ (गैल. 6:9, टी.एल.बी.)। सच बात तो यह है कि सफलता की कील को ठोंकने के लिए लगन के हथौड़े की ज़रूरत पड़ती है।

कई असफल लोगों को यह एहसास ही नहीं होता है कि जब उन्होंने कोशिश करनी छोड़ी थी, तब वे सफलता के कितने क़रीब थे। हैरियट बीचर स्टो ने लिखा है : ‘‘जब आप मुश्किल में हों, जब हर परिस्थिति आपके विपरीत हो और आपको लगने लगे कि अब एक मिनट भी डटे रहना मुश्किल है, तो उस समय मैदान न छोड़ें, क्योंकि यही वह समय और स्थान है, जहाँ आपकी तक़दीर का रुख़ पलटेगा।’’
संभावनाओं को लगन से तलाशेंगे, तो अवसर हमेशा आपके सामने आ जाएँगे। सफल होने (succeed) का मूल अर्थ है, ‘‘लगन से पूरी तरह जुटे रहना।’’ कोई भी हीरा आपको बता देगा कि वह सिर्फ़ कोयले का टुकड़ा था, जिसने भारी दबाव के बावज़ूद हिम्मत नहीं हारी।

सफलता की राह में चढ़ाई ही चढ़ाई होती है, इसलिए इसमें गति के कीर्तिमान बनाने की आशा न करें। बेसब्री आपको बहुत महँगी पड़ेगी, क्योंकि आपकी सबसे बड़ी ग़लतियाँ इसी के कारण होंगी। ज़्यादातर लोग सिर्फ़ इसलिए असफल होजाते हैं, क्योंकि वे बेसब्र हो जाते हैं और काम शुरू करने के बाद उसे पूरा नहीं कर पाते हैं।
रूपर्ट ह्यूज़ ने कहा है, ‘‘संकल्पवान व्यक्ति जंग लगे छोटे से औज़ार (monkey wrench) से भी बहुत काम कर सकता है, जबकि आवारागर्दी करने वाला व्यक्ति मैकेनिक के सारे औज़ारों से भी कुछ नहीं कर सकता।’’
परिस्थितियाँ चाहे जैसी हों, उनका सामना करने और डटे रहने की शक्ति ही विजेता का गुण है।

स्वर्णिम सिद्धांत # 2

जब आप किसी दूसरे जैसा बनने की कोशिश करते हैं, तो आप हमेशा दूसरे स्थान पर रहते हैं


आप और मैं समान पैदा हुए हैं, लेकिन फिर भी हम एक-दूसरे से अलग हैं। क्या आप दुनिया में अपनी अलग जगह बनाना चाहते हैं ? तो फिर अपने जैसे ही बनें। वही बनें, जो आप सचमुच हैं। आप इस समय जैसे हैं, उससे बेहतर बनने की दिशा में आपका पहला क़दम यही है। ‘‘किसी भी व्यक्ति को तब तक आदर्श सफलता नहीं मिल सकती है, जब तक कि वह अपनी सही जगह पर नहीं पहुँच जाए। इंजन की तरह इंसान को भी अपनी पटरी पर ही शक्तिशाली होना चाहिए, चाहे बाक़ी जगहों पर वह कमज़ोर हो’’ (ओर्सन मार्डेन)। अपने वास्तविक स्वरूप का विकास करें।

भीड़ का अनुसरण करने से बचें। इंजन की तरह बनें, न कि आख़िरी डिब्बे की तरह। जैसा हर्मन मेलविल ने लिखा है, ‘‘नक़ल करके सफल होने से ज़्यादा अच्छा यह है कि मौलिक बनकर असफल हो जाएँ।’’ आम लोग लीक से हटकर चलने के बजाय भीड़ के साथ ग़लत रास्ते पर चलना पसंद करते हैं। दूसरों की तरह बनने की कोशिश में हम अपने तीन-चौथाई स्वरूप की बलि चढ़ा देते हैं। दूसरों की तरह बनने से संतुष्टि नहीं मिलती है और विकास के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि आपको ईश्वर ने सबसे अलग और अनूठा बनाया है ? सबसे अलग होने की हिम्मत दिखाएँ और अपनी तक़दीर ख़ुद बनाएँ।

‘‘ख़ुद की तरह बनें। इस काम के लिए आपसे क़ाबिल व्यक्ति और कौन है ?’’ (फ़्रैंक गिबलिन)। ख़ुद से दो सवाल पूछें। अगर मैं किसी दूसरे की तरह बनने की कोशिश करूँगा, तो मेरी तरह कौन बनेगा ? अगर मैं अपने स्वरूप को क़ायम नहीं रखूँगा, तो मेरी पहचान क्या होगी ? आप अपनी क्षमता का जितना ज़्यादा विकास करते हैं, आप दूसरों का उतना ही कम अनुकरण करते है। किसी दूसरे की तरह बनने की कोशिश करना अपनी हार तय करना है। ज़िंदगी में आपका एक प्रमुख लक्ष्य यह है कि आप अपने अनूठे स्वरूप का विकास करेंगे। जब आप किसी दूसरे जैसा बनने की कोशिश करेंगे, तो ज़्यादा से ज़्यादा आप दूसरे स्थान पर ही रहेंगे।

हम किसी दूसरे व्यक्ति की राह पर चलकर अपनी तक़दीर नहीं बना सकते हैं। जो व्यक्ति कभी अकेला नहीं चलता है और हमेशा दूसरों के पदचिन्हों की ही तलाश करता रहता है, वह कभी कोई नई खोज नहीं कर पाएगा। ‘‘घिसे-पिटे रास्ते का अनुसरण करने के बजाय वहाँ जाओ, जहाँ कोई रास्ता न हो और एक नया रास्ता बनाकर दिखा दो’’ (अज्ञात)। ‘‘ईश्वर ने हम सबको कोई न कोई काम अच्छी तरह से करने की योग्यता दी है’’ (रोमन्स, 12:6, टी.एल.बी.)।
‘‘अपने आस-पास की दुनिया को कभी इस बात की अनुमति न दें कि यह आपको दबाकर अपने साँचे में ढाल ले। इसके बजाय ईश्वर को अपना पुनर्निर्माण करने दें, ताकि आपका पूरा मानसिक नज़रिया बदल जाए’’ (रोमन्स, 12:2, फ़िलिप्स)। ‘‘आप अपनी तरह जितना ज़्यादा बनते हैं, किसी और की तरह उतना ही कम बनते हैं’’ (वाल्ट डिज़नी)। आप एक पेड़ की तरह है–आपको उस फल को सामने लाना चाहिए, जो आपके भीतर है।

साधारण न बनें। साधारण व्यक्ति कहीं नहीं पहुँच पाता है। चैंपियन बनने के लिए आपको असाधारण बनना होगा। आपकी जिम्मेदारी किसी दूसरे के साँचे में ढलना नहीं है, बल्कि यह है कि ईश्वर ने आपको जैसा बनाया है, आप उसका सर्वश्रेष्ठ विकास करें। कभी भी ख़ुद के साथ समझौता न करें... आपका स्वरूप ही आपकी समूची दौलत है। ‘‘लगभग हर व्यक्ति अपनी ज़िंदगी का एक हिस्सा ऐसे गुणों को प्रदर्शित करने में बर्बाद करता है, जो उसमें नहीं होते हैं’’ (सेमुअल जॉनसन)। आप जो नहीं हैं, वह दिखने की कोशिश न करें। जीवन में वह न करें, जो आपको नहीं करना चाहिए।
आप एक अद्वितीय चमत्कार हैं। आप वैसे ही हैं, जैसा ईश्वर ने आपको बनाया है और अगर वह संतुष्ट है. तो आपको भी संतुष्ट होना चाहिए।

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