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उपन्यास >> दुक्खम सुक्खम

दुक्खम सुक्खम

ममता कालिया

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :274
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 7754
आईएसबीएन :9788126319336

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यशस्वी कथाकार ममता कालिया का उपन्यास ‘दुक्खम सुक्खम’ दादी विद्यावती और पौत्री मनीषा के मध्य समाहित/सक्रिय समय एवं समाज की अनूठी गाथा है

Dukkham Sukkham - A Hindi Book - by Mamta kaliya

‘मनीषा जानती है दादी की याद में कहीं कोई स्मारक खड़ा नहीं किया जाएगा। न अचल न सचल। उसके हाथ में यह कलम है। वही लिखेगी अपनी दादी की कहानी।’ यशस्वी कथाकार ममता कालिया का उपन्यास ‘दुक्खम सुक्खम’ दादी विद्यावती और पौत्री मनीषा के मध्य समाहित/सक्रिय समय एवं समाज की अनूठी गाथा है। इस आख्यान में तीन पीढ़ियों की सहभागिता है। मथुरा में रहनेवाले लाला नत्थीमल और उनकी पत्नी विद्यावती से यह आख्यान प्रारम्भ होता है। दूसरी पीढ़ी है लीला, भग्गो, कविमोहन और कवि की पत्नी इन्दु। कवि-इन्दु की दो बेटियाँ प्रतिभा और मनीषा तीसरी पीढ़ी का यथार्थ हैं। ममता कालिया ने मथुरा की पृष्ठभूमि में इस उपन्यास को रचा है। वैसे कथा के सूत्र दिल्ली, आगरा और बम्बई तक गये हैं।

‘दुक्खम सुक्खम’ जीवन के जटिल यथार्थ में गुँथा एक बहुअर्थी पद है। रेल का खेल खेलते बच्चों की लय में दादी जोड़ती हैं ‘कटी जिन्दगानी कभी दुक्खम कभी सुक्खम।’ यह खेल हो सकता है किन्तु इस खेल की त्रासदी, विडम्बना और विसंगति तो वही जान पाते हैं जो इसमें शामिल हैं। परम्पराओं-रूढ़ियों में जकड़े मध्यवर्गीय परिवार की दादी का अनुभव है ‘इसी गृहस्थी में बामशक़्क़त क़ैद, डंडाबेड़ी, तन्हाई जाने कौन कौन सी सज़ा काट ली’। एक तरह से यह उपन्यास श्रृंखला की बाहरी-भीतरी कड़ियों में जकड़ी स्त्रियों के नवजागरण का गतिशील चित्र और उनकी मुक्ति का मानचित्र है।

ममता कालिया


जन्म : 2 नवम्बर, 1940, मथुरा (उ.प्र.)।

शिक्षा : एम.ए. (अँग्रेज़ी साहित्य)।
दिल्ली व मुम्बई में अँग्रेज़ी का अध्यापन, इलाहाबाद के एक डिग्री कॉलेज के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त। पूर्व निदेशक, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता। सम्प्रति, महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय की अँग्रेजी पत्रिका ‘हिन्दी’ का सम्पादन।

प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ : ‘छुटकारा’, ‘सीट नंबर छह’, ‘उसका यौवन’, ‘प्रतिदिन’, ‘जाँच अभी जारी है’, ‘बोलने वाली औरत’, ‘थियेटर रोड के कौवे’, ‘पच्चीस साल की लड़की’ (कहानी संग्रह); ‘बेघर’, ‘नरक दर नरक’, ‘दौड़’, ‘अँधेरे का ताला’, ‘दुक्खम सुक्खम’, (उपन्यास); ‘आत्मा अठन्नी का नाम है’, ‘आप न बदलेंगे’ (एकांकी); ‘खाँटी घरेलू औरत’ (कविता); ‘Tribute to Papa & other poems’, ‘Poems 78’ (अँग्रेजी कविता)। 9 महत्त्वपूर्ण पुस्तकें सम्पादित। देश-विदेश में कई पाठ्यक्रमों में पुस्तकें सम्मिलित। कई रचनाओं पर नाटक और टेलीफिल्म। यूरोप और नार्थ अमेरिका की साहित्यिक यात्राएँ। नारी-विमर्श और पत्रकारिता के विभिन्न पक्षों पर प्रामाणिक लेखन। राष्ट्रीय स्तर के साहित्यिक-सांस्कृतिक आयोजनों में सक्रिय सहभागिता।
पन्द्रह से अधिक महत्त्वपूर्ण सम्मान/पुरस्कार प्राप्त।

सम्पर्क : ए-73, लाजपत नगर-1, नयी दिल्ली


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