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आओ, बनें सफल वक्ता

सूर्या सिन्हा

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :189
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 7923
आईएसबीएन :9788173158537

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प्रभावशाली जनसंबोधन व बातचीत की कला में दक्षता पाने की तकनीक की जानकारी

Aao Banen Safal Vakta - A Hindi Book - by Surya Sinha

यदि आप धाराप्रवाह, शुद्ध और स्पष्ट बोलने में सक्षम हैं, आपका भाषण या आपके बोलने की शैली शुद्ध तथा स्पष्ट है, आप अपने बोलने की प्रक्रिया में संतुलित उतार-चढ़ाव और उचित ताल-मेल पर पूरा ध्यान रखते हैं, तब आपके बोलने या भाषण देने में एक खूबसूरत प्रवाह आता है और आप एक सफल वक्ता कहलाते हैं। ‘आओ, बने सफल वक्ता’ पुस्तक कुछ ऐसी ही शैलियों और तरीकों से भरी पड़ी है, जो आपको एक सफल वक्ता व सफल व्यक्तित्व बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।

जैसे कोई शिल्पकार किसी पत्थर को तराशकर एक खूबसूरत मूर्ति बना देता है, लेकिन उस पत्थर को तराशने से पहले ही वह अपने मन-मस्तिष्क में उस मूर्ति की तसवीर को मन की आँखों से देख चुका होता है। ठीक वैसे ही सफल वक्ताओं के कुछ बोलने अथवा भाषण देने से पूर्व ही पूरे भाषण का स्वरूप व विचार उनके मन-मस्तिष्क में अंकित हो जाते हैं, तत्पश्चात् वे धाराप्रवाह बोलते हैं। उन्हें याद करने के लिए रुकना या भटकना नहीं पड़ता और यही वह कला है, जिससे लोग सम्मोहित हो जाते हैं तथा वक्ता द्वारा बताए गए दिशा-निर्देशों को मानते हुए अपनी राह चुनते हैं, अपना मार्ग तय करते हैं। एक सफल वक्ता अपने जीवन को तो सफल बनाता ही है, अपने संपर्क में आए अन्य लोगों के जीवन को भी सफल बनाने का प्रयास करता है। ‘आओ, बनें सफल वक्ता’ किसी भी व्यक्ति के जीवन को ठीक इसी प्रकार सफलता के मुकाम पर ले जाने के लिए एक सफल वक्ता बनाने का प्रयास करती है।

आओ, बनें सफल वक्ता


दोस्तो, मानव जीवन की शुरुआत आदिम युग से मानी जाती है। आदिम युग में जब बोलचाल की कोई भाषा नहीं थी, तब लोग तरह-तरह के इशारे करके अपने मन के भावों को व्यक्त करते थे। इसमें कुछ सफल होते थे और कुछ असफल। जीवन तो तब भी था, लेकिन बेहद कठिन और असुविधाओं से भरा।

चूँकि मनुष्य प्रारंभ से ही बुद्धियुक्त, जिज्ञासु तथा खोजी रहा है, अतः दूसरी आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ ही उसने आपस में संवाद स्थापित करने के लिए लिपि का आविष्कार किया, जिसे कालांतर में भाषा कहा गया। समय-चक्र चलता रहा और धीरे-धीरे हजारों भाषाओं का जन्म हो गया। प्रत्येक भाषा में प्रत्येक वस्तु को अलग-अलग नामों से पुकारा जाने लगा। फिर कुछ विद्वानों ने उस भाषा पर शोध किए और उसे सरल बनाया। कुछ लोग भाषा को धाराप्रवाह बोलने लगे तथा प्रभावशाली ढंग से बोलकर दूसरों से श्रेष्ठ और महान् हो गए। एक-दूसरे से संवाद कायम करने में सुविधा हुई तो मानव ने तेजी से विकास किया।

आज के युग में हर वह व्यक्ति, जो सफलता पाने का इच्छुक है, उसके लिए बातचीत एवं जनसंबोधन कला में निपुण होना पहली शर्त है और यही समय की माँग भी है।

जनसंबोधन कला अर्थात् अपनी बात की सही अभिव्यक्ति न कर पानेवाला व्यक्ति नेतृत्व के गुण से वंचित रहता है और देखा गया है कि जिसमें नेतृत्व की कला नहीं है, वह अपने जीवन में सफल भी नहीं हो पाता। इसलिए माता-पिता एवं अध्यापकों को चाहिए कि बच्चों को छात्र जीवन से ही इसका अभ्यास कराएँ। विदेशों में इस बात पर विशेष बल दिया जाता है। वे शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को व्यावहारिक ज्ञान, संस्कार (मैनर्स) और जनसंबोधन कला (पब्लिक स्पीकिंग) आदि पर भी विशेष ध्यान देते हैं और यही कारण है कि वे लोग निरंतर ऊँचे उठ रहे हैं। जिन भारतीय परिवारों ने इस बात को समझकर अपने बच्चों को इस कला में निपुण किया, वे देश-विदेश में अच्छा-खासा नाम कमा रहे हैं और सफलता की बुलंदियों को छू रहे हैं।

इस पुस्तक को लिखने का मेरा मुख्य उद्देश्य यही है कि मैं इस पुस्तक के माध्यम से आप लोगों को वह तकनीकें बता सकूँ, जो एक सफल वक्ता बनने में कारगर सिद्ध होती हैं। विश्वास मानिए, इस पुस्तक में बताई गई तकनीकों को प्रयोग में लाकर आप प्रभावशाली जनसंबोधन व बातचीत की कला में दक्षता पा सकते हैं।
सफल व्यक्ति बनने के लिए और समाज में प्रेम-प्रतिष्ठा पाने के लिए ‘आओ, बने सफल वक्ता !’

संवाद बिना जुड़ाव नहीं


जी हाँ, दोस्तो ! संवाद जरूरी है सफलता पाने के लिए, प्रेम-प्रतिष्ठा पाने के लिए और सुखी जीवन जीने के लिए।
आज हम देखते हैं कि बिना संवाद के जीवन नहीं है। जो जितने अच्छे संवाद बोलता है, जितनी अच्छी तरह से दूसरों को अपनी बात समझाने में दक्ष है, वही सफल है।

जब भी मैं किसी प्रशिक्षण कार्यक्रम में जाता हूँ, तो कार्यक्रम के अंत में लोग मुझे आकर घेर लेते हैं और कहते हैं कि वो भी अच्छे वक्ता बनना चाहते हैं, लोगों से संवाद स्थापित करना चाहते हैं। पर न जाने क्यों उन्हें मंच पर जाने से, माइक के सामने खड़ा होने से तथा भीड़ का सामना करने से डर लगता है !

फिर जब मेरे कहने पर उन्हीं लोगों ने मेरे पास पर्सनैलिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम जॉइन किया तो मैंने पाया कि उन सभी लोगों में सफल वक्तावाले गुण पहले से ही मौजूद थे, पर वे लोग अपने गुणों को सुधारकर लोगों के सामने प्रस्तुत नहीं कर पाते थे।

मेरे द्वारा दिए गए ट्रेनिंग प्रोग्राम की कुछेक क्लासेज अटैंड करने के बाद ही वे सभी-के-सभी बेहिचक कहीं भी, कभी भी और चाहे कैसी भी परिस्थिति रही हो, उसमें पूर्ण आत्मविश्वास के साथ अपने वक्तव्यों को प्रस्तुत करने लगे थे।

आज वे सभी लोग अपने-अपने संस्थानों में सफल वक्ता के रूप में जाने जाते हैं। यह देखकर न सिर्फ मुझे खुशी होती है, बल्कि मैं परमपिता परमात्मा को धन्यवाद देता हूँ कि उसकी मरजी से ही मैं समाज में कुछ अच्छा कर पाने में सक्षम हो पाया हूँ।

दोस्तो, उपर्युक्त बातों से मेरा तात्पर्य यह है कि समाज में रहकर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हमें अपनी बातचीत की कला व संवाद-दक्षता दिखानी होती है। क्षेत्र कोई भी क्यों न हों, यदि हमारे भीतर संवाद की दक्षता नहीं है, यदि हम अच्छे वक्ता नहीं है तो हम सफ़ल नहीं हो सकते।

संवाद एक ऐसा माध्यम है, एक ऐसी कड़ी है, जो लोगों को आपके साथ जोड़ देती है। संवाद के माध्यम से आप अपरिचित लोगों को भी अपना बना लेते हैं। लोगों को लगने लगता है कि शायद वे आपके बिना चल नहीं सकते, शायद वे आपके बिना अधूरे हैं और आपकी उनको बहुत ज्यादा जरूरत है। संवाद से आपको आगे बढ़ने की राह मिलती है और जब आप अच्छा संवाद करने की कला में पारंगत हो जाते हैं, तब आप सफलता की उन ऊँचाइयों को छूते चले जाते हैं, जिसके बारे में आपने कभी सोच रखा था।

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