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उपन्यास >> काले कोस

काले कोस

बलवंत सिंह

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1999
पृष्ठ :376
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8049
आईएसबीएन :9788171788101

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पंजाब की धरती की खुशबू में रची-बसी पृष्ठभूमि में लिखा बलवंत सिंह का सामाजिक उपन्यास

Kale Kos by Balwant Singh

बलवंत सिंह का रचनाकार न तो अतिरिक्त सामाजिकता से आक्रांत रहता है और न ही कला और शिल्प के दबावों से आतंकित। अपनी सतत जागरूक और सचेत निगाह से वे कथा-चरित्रों और कथा-भूमि से सबसे विश्वसनीय यथार्थ तक पहुँचने का प्रयास करते हैं। शिल्प और संवेदना का द्वंद्व उनकी रचनाओं में प्रशंसनीय संतुलन के साथ प्रकट होता है।

उनकी औपन्यासिक कृतियाँ अपने कलेवर में महाकाव्यात्मक गरिमा से परिपूर्ण होती हैं। दूसरी तरफ उनके पात्र भी अपने जीवन के चौखटे में अपनी भरपूर ऊर्जा के साथ प्रकट होते हैं। वे नुमाइशी और कृत्रिम नहीं होते, बल्कि जिंदगी की अनिश्चितता और अननुमेयता से जूझते हुए, हाड़-मांस के साधारण, खुरदुरे लोग होते हैं जिनका वैशिष्ट्य एक खास संलग्नता के साथ देखने पर ही दिखाई देता है। बलवंत सिंह की रचनाएँ इस संलग्नता से बखूबी पगी हुई होती हैं।

काले कोस की पृष्ठभूमि में भी ऐसे ही लोगों की छवियाँ दिखाई देती हैं। पंजाब की धरती की खुशबू में रचे-बसे और अपनी कमजोरियों-खूबियों से जूझते ये लोग देर तक पाठक का स्मृति में अपनी जगह बनाए रखते हैं।


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