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क़रीब से

जोहरा सहगल

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2013
पृष्ठ :244
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8083
आईएसबीएन :9788126724253

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ज़ोहरा सहगल की आत्मकथा

Qareeb se by Zohra Segal

ज़ोहरा सहगल की यह आत्मकथा मंच और फिल्मी पर्दे पर उनकी लगभग सौ साल लम्बी मौजूदगी का एक बड़ा फलक पेश करती है। भारत और इंग्लैंड दोनों जगह समान रूप से सक्रिय रहीं ज़ोहरा सहगल इसमें अपने बचपन से लेकर अब तक की ज़िन्दगी का दिलचस्प ख़ाका खींचती हैं।

1930 में ज़ोहरा आपा ड्रेस्डेन, जर्मनी में मैरी विगमैन के डांस-स्कूल में आधुनिक नृत्य का प्रशिक्षण लेने के लिए गईं। नवाबों की पारिवारिक पृष्ठभूमि से आई एक भारतीय युवती के लिए यह फ़ैसला अस्वाभाविक था। लेकिन कुछ अलग हटकर करने का ही नाम ज़ोहरा सहगल है। 1933 में आप वापस आईं और 1935 में उदयशंकर के अल्मोड़ा स्थित प्रसिद्ध नाट्य दल से जुड़ी। कामेश्वर सहगल भी इसी कम्पनी में थे जिनसे 1942 में उनकी शादी हूई।

इस दौर के अपने सफर के बाद ज़ोहरा सहगल इस आत्मकथा में पृथ्वी थिएटर और पृथ्वीराज कपूर से जुड़े अपने लम्बे और गहरे अनुभव के दिनों का लेखा-जोखा देती हैं। पृथ्वी थिएटर में अपने चौदह साल उन्होंने भारतीय रंगमंच के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय के बीचोबीच बिताए। ‘इप्टा’ का बनना और फिर निष्क्रिय हो जाना भी उन्होंने नज़दीक से देखा। इस पूरे दौर का बहुत पास से लिया गया जायज़ा इस आत्मकथा में शामिल है।

इसके बाद इंग्लैंड में बीबीसी टेलीविजन, ब्रिटिश ड्रामा लीग और अनेक धारावाहिकों तथा फिल्मों के साथ अभिनेत्री के रूप में उनका जुड़ाव, और इस दौरान ब्रिटिश रंगमंच की महान हस्तियों से उनकी मुलाक़ातों के विवरण, ‘मुल्ला नसरुद्दीन’ जैसे भारतीय धारावाहिकों में काम करने के अनुभव, इस आत्मकथा को एक ख़ास दिलचस्पी से पढ़े जाने की दावत देते हैं। साथ में ज़ोहरा आपा का चुटीला अंदाज़, उसके तो कहने ही क्या!


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