हास्य-व्यंग्य >> भारत एक बाजार है (सजिल्द) भारत एक बाजार है (सजिल्द)विष्णु नागर
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इस पुस्तक में संकलित व्यंग्य रचनाओं का दायरा राजनीति, समाज, धर्म, प्रशासन, मध्यवर्गीय आकांक्षाओं की विकृतियों से लेकर बाज़ारीकरण, देश की अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ार तक फैला हुआ है...
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