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विवाद विरोध और विकास की नर्मदा

आदिल खान

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :240
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8207
आईएसबीएन :9788126720972

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देश की पाँचवीं सबसे बड़ी नदी नर्मदा, अपने अंचल में बसी आबादी के लिए साक्षात् जीवनदायिनी है।

Vivad Virodh Aur Vikas Ki Narmada by Adil Khan

प्रस्तुत है पुस्तक के कुछ अंश

देश की पाँचवीं सबसे बड़ी नदी नर्मदा, अपने अंचल में बसी आबादी के लिए साक्षात् जीवनदायिनी है। इसके विशाल कछार क्षेत्र में फैले वन, वनों में विचरते वन्य प्राणियों और पक्षियों के विविध रूप नर्मदा घाटी को प्रकृति का अनुपम सौंदर्य प्रदान करते हैं।

नर्मदा के जल को विकास के लिए दोहन करने के विचार को पंडित जवाहरलाल नेहरू के उस विकास मॉडल ने आधार प्रदान किया जिसमें नदियों पर बड़े बाँधों का निर्माण करना प्राथमिकता में सम्मिलित था। लेकिन नर्मदा जल के दोहन के विचार के साथ ही नर्मदा जल के बँटवारे का विचार प्रारम्भ हुआ जो कालान्तर में नर्मदा जल विवाद बन गया।

विवादों के निराकरण के प्रयासों में जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन हुआ और लम्बे समय तक केन्द्र और सम्बन्धित राज्यों के बीच नर्मदा जल विवाद निराकरण की गतिविधियाँ चलती रहीं। न्यायाधिकरण ने चार राज्यों में जल का बँटवारा, जल का उपयोग, जल विद्युत उत्पादन और अन्य सम्बन्धित विषयों के साथ ही अनेक अन्तर्राज्यीय दायित्वों का भी निर्धारण किया। इस सब के बावजूद राज्यों के बीच छोटे-मोटे विवाद और समस्याएँ उठती रहीं, सुलझती रहीं।

नर्मदा जल विवाद और परियोजनाओं के विरोध का लम्बा इतिहास है। नर्मदा विवाद, विरोध और विकास के विविध आयामों को प्रस्तुत करने का अब तक कोई समग्र प्रयास नहीं हुआ है। इसको देखते हुए यह आवश्यक प्रतीत हुआ कि नर्मदा और उससे सम्बन्धित विवाद, विरोध और विकास के इतिहास और वर्तमान की सम्पूर्ण जानकारी सरल और समग्र रूप में एक जगह संकलित की जाए।

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