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शाम के साये

मृदुला हालन

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :122
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8218
आईएसबीएन :9780144001644

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किशोरों के लिए रहस्य, रोमांच और कल्पना से भरपूर कहानियाँ

Sham Ke Saye by Mridula Halan

जब शाम के साये गहराने लगते हैं, हवा में एक रहस्यमयी सी सरसराहट घुल जाती है, अपनी ही आहट से पेट में हौल सा उठने लगता है, दिल सूखे पत्ते सा थर्रा उठता है...

रहस्य, रोमांच और कल्पना का अपना अद्भुत संसार है। यह रहस्यलोक हर पीढ़ी, हर उम्र के व्यक्ति को जैसे हाथ के इशारे से अपनी ओर बुलाता हो। मन जितना ही डरता है, उतना ही इसमें गहरे उतरने को बेकल होता जाता है। कांपती, थरथराती उंगलियां पेज पलटती जाती हैं।

क़ुदरत न जाने कितने रहस्यों को अपने भीतर छुपाए हुए है। सदियों से इंसान इस अजान को जानने के लिए अपनी कल्पना को नये आयाम देता रहा है। ऐसे ही रहस्य-रोमांच से भरपूर इन कहानियों में लेखिका मृदुला हालन ने बाल-मन के अनछुए, अनजान आसमान को झकझोरा है।

लेखक परिचय : लेखिका संघ की अध्यक्ष मृदुला हालन की प्रारंभिक शिक्षा नाहान, हिमाचल प्रदेश में हुई। 1971 से वे पत्रकारिता और स्वतंत्र लेखन से जुड़ी हैं। दूरदर्शन और रेडियो के लिए भी कई प्रोग्राम किए हैं। बाल साहित्य में इनकी विशेष रुचि है और ‘पराग’, ‘चंपक’ और ‘सुमन सौरभ’ में इनकी कहानियां छपती रही हैं। विकास पब्लिशिंग के लिए इन्होंने अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद भी किया है।


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