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गंगाजल तथा अन्य कहानियां

ऊषा भटनागर

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8448
आईएसबीएन :0

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गंगाजल तथा अन्य कहानियां किताब का आई पैड संस्करण

Gangajal Tatha Anya Kahaniyan - A Hindi Ebook By Usha Bhatnagar

आई पैड संस्करण


‘अरे पगला गये हो क्या तुम सब! जो जैसा कहे वैसा ही हाँकने लगते हो! तभी तो माटी में पड़े हो सालों और वहीं पड़े सड़ते रहोगे। कल शर्मा जी ने क्या-क्या बताया था। अरे बिना काले धन के इनका काम होता है क्या भला? देखो न पिछले दो महीने से कितना ज्यादा काम आ रहा है तब दी इन्होंने हमें ज़्यादा पगार? हमें तो वही हर महीने वाली पगार पकड़ा दी और अब चुपचाप मान गये थोड़ा बढ़ा देंगे। नहीं...नहीं...डटे रहो। खुद सब मानेगा साला। इस वक्त काम आ रहा है हम जो कहेंगे उसे सुननी ही पड़ेगी। अपना आता धंधा थोडे ही छोड़ेगा? तपता लोहा है पीट लो जितना चाहे अभी फिर बाद में कुछ ना होने वाला, समझे बच्चू तुम कुछ, ले शर्त बद। दो दिन पीछे खुद बुलायेगा। सब मान जायेगा। बस दो दिन सब्र कर बेटा।’
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