हास्य-व्यंग्य >> मेरे पापा की शादी मेरे पापा की शादीआबिद सुरती
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व्यंग्य उपन्यास ‘मेरे पापा की शादी’ का केवल एक ही मकसद है, आपके होठों पर मुस्कराहट की लकीर खींचना।
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