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आकाश ही आकाश

लक्ष्मी कण्णन

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :256
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8723
आईएसबीएन :9780143101628

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लक्ष्मी कण्णन के इस अनूदित कहानी संकलन में दक्षिण भारतीय लोक संस्कृति और आम जनजीवन को उकेरती कहानियां है

Aakash hi Aakash (Lakshmi Kannan)

लेखक परिचय : 13 अगस्त, 1947 को जम्नी लक्ष्मी कण्णन तमिल में ‘कावेरी’ उपनाम से लिखती हैं। एम. ए. (अंग्रेजी) कलकत्ता, दिल्ली व कैलीफोर्निया विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त। तमिल व अंग्रेजी दोनों में विख्यात कावेरी कहानी के अतिरिक्त कविता, उपन्यास, आलोचना, अनुवाद आदि विभिन्न विधाओं में सफलतापूर्वक क़लम चलाती हैं। अब तक पन्द्रह रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। इनकी कृतियां हिंदी, मलयालम, कन्नड़, मराठी आदि भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त फ्रेंच, स्पेनिश, जर्मन, अरबी जैसी विदेशी भाषाओं में भी अनूदित हैं।

लक्ष्मी कण्णन के इस अनूदित कहानी संकलन में दक्षिण भारतीय लोक संस्कृति और आम जनजीवन को उकेरती कहानियां हैं। इनमें नारी, नारी सम्बन्धी एवं नारी के रहस्यमयी अस्तित्व से जुड़े विषयों के साथ-साथ मानवीय संवेदनाओं का भी खूबसूरत चित्रण हैं।

तमिल साहित्यिक परंपरा कुरुनॉवल - लघु उपन्यास - का प्रतिनिधित्व करती ये कहानियां प्रायः अंतिम पंक्ति के बाद पाठक के लिए एक मौन छोड़ देती हैं, जिसे वह धीरे-धीरे आत्मसात करता है।

‘सिद्धहस्त लेखिका लक्ष्मी कण्णन ने तमिल कहानी को एक नया आयाम दिया है। कहानी लेखन में उन्होंने कल्पना से लेकर जादुई यथार्थवाद सहित अनेक नई तकनीकों का सुंदर प्रयोग किया है।’

द हिन्दू

‘लक्ष्मी कण्णन जहां जाती हैं, एक सद्बोध उनके साथ रहता है, जिसके लिए उनका रचना-संसार जाना जाता है। वे स्त्री-पुरुष दोनों को एक कसौटी पर कसती हैं, उनके बाहरी व्यक्तित्व को परत दर परत उधेड़ देती है।

फ़ाइनेन्शियल एक्सप्रेस


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