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गजलें और शायरी >> रौशनी महकती है

रौशनी महकती है

सत्य प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : पाँखी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8754
आईएसबीएन :9789381501092

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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह

Raushani Mahakti HAi

अपने कहे हुये को लेकर मुझे ये मुगालता कतई नहीं है कि मैंने कोई कारनामा कर डाला है। पिछले 25-30 वर्ष में परवान चढ़ी, ग़ज़लों से मुहब्बत की छुटपुट मगर ईमानदार कोशिशें भर हैं ये अश्आर। जिन्दगी में तरतीब कभी रही नहीं, सो ख़याल आया कि कम-अज़-कम अहसास की बिखरी हुई शुआओं को रोशनदान दे दिया जाये ताकि सनद रहे और अपनों के काम आये।

मैं कोई साधु-महात्मा तो हूँ नहीं कि अपने मन में बैठे लालची से आपकी बात न कराऊं। ये लालची कहता है कि काश! जैसे मैंने अच्छी-अच्छी ग़ज़लें सुनी हैं, बेहतरीन शेरों पर दीवाना होता रहा हूँ, उसी तरह इस संग्रह का एक भी शेर, एक भी मिसरा पढ़ने वासों को पसन्द आ जाये तो ये भी फूला न समाये। इतना लालच तो बनता ही है...।


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