कविता संग्रह >> चेतना के सप्त स्वर चेतना के सप्त स्वरडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
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चेतना के सप्त स्वर, मुखरित हुए है वेदना से।
दे सकें यदि प्रेरणा तो धन्य हूँ इस प्रेरणा से।।
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