धर्म एवं दर्शन >> मन, वचन. कर्म से ... मन, वचन. कर्म से ...स्वामी अवधेशानन्द गिरि
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जो लोग कहते हैं कुछ और करते हैं कुछ, उनसे मेरा जी जलता है, क्योंकि उनके कहने और करने का कुछ ठिकाना नहीं है..
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