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हिन्दी साहित्य समकालीन परिप्रेक्ष्य

प्रमोद कोवप्रत

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 9146
आईएसबीएन :9789350642771

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हिन्दी साहित्य समकालीन परिप्रेक्ष्य...

Hindi Sahitya Samkaleen Pariprekshya - A Hindi Book by Pramod Kovprat

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

समकालीन साहित्य के परिप्रेक्ष्य में अतीत है, वर्तमान है और भविष्य भी है। हिन्दी साहित्य विधा और विषय की व्यापकता की दृष्टि से काफी समृद्ध है।

इस पुस्तक में भारत भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों के विद्वान प्राध्यापकों के ज्वलंत विषयों पर आलेख सम्मिलित हैं। वैश्वीकरण, स्त्री-विमर्श, दलित-विमर्श, पर्यावरण-विमर्श, सांप्रदायिकता और आतंकवाद पर उन्होंने अपनी लेखनी चलाई है। समकालीनता की बुनियादी अवधारणा की विस्तृत चर्चा के साथ कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, आलोचना और आत्मकथा जैसे बहुआयामी विषयों पर चर्चा इसमें मिलती है। कुल मिलाकर यह पुस्तक समकालीन साहित्य की बहुआयामी प्रवृत्तियों को प्रतिबिंबित करती है। निश्चय ही यह हिन्दी साहित्य का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

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