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काल की वैज्ञानिक अवधारणा

गुणाकर मुले

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 9159
आईएसबीएन :9788189444587

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काल का वैज्ञानिक अवधारणा...

काल को किसी सरल व्याख्या में समेटना लगभग असंभव है। प्रकृति की जिन शक्तियों ने मानव-मन को सबसे ज्यादा आतंकित-विचलित किया है, काल अर्थात् समय उनमें सबसे प्रबल और रहस्यमय है। इसी काल को समझने के क्रम में कैलेंडरों, पंचांगों, तिथियों आदि का विकास हुआ। कल्पों, युगों, सदियों, वर्षों, महीनों, दिनों और घंटों की इकाइयों का आविर्भाव हुआ। लेकिन काल क्या है, इसका कोई बहुत सरल तथा अंतिम उत्तर आज भी किसी के पास नहीं होता है। हम काल में जीते हैं, उसे अनुभव करते हैं, लेकिन वह है क्या, इसको व्याख्यायित नहीं कर सकते।

लोकप्रिय विज्ञान-लेखक गुणाकर मुळे की इस पुस्तक में संगृहीत काल की वैज्ञानिक अवधारणा से संबंधित उनके निबंधों में काल को अलग-अलग आयामों से समझने का प्रयास किया गया है, साथ ही काल-संबंधी चिंतन के इतिहास तथा कैलेंडरों और पंचांगों के अस्तित्व में आने का वैज्ञानिक ब्यौरा भी दिया गया है। ‘काल क्या है ?’, ‘काल का इतिहास’, ‘कैलेंडरों की कहानी’, ‘प्राचीन काल के कैलेंडर’, ‘काल की वैज्ञानिक अवधारणा’ तथा ‘काल मापने के अंतर्राष्ट्रीय तरीके’ जैसे समय की सत्ता को अलग-अलग दिशा से जानते-समझते अठारह आलेख इस पुस्तक को हर वर्ग के पाठक के लिए पठनीय तथा संग्रहणीय बनाते हैं।

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