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आग की प्यास

रांगेय राघव

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :135
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9205
आईएसबीएन :9788126700974

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आग की प्यास...

रांगेय राघव हिन्दी के उन विशिष्ट कथाकारों में हैं जिनकी रचनाएँ अपने समय को लाँघकर भी जीवित रहती हैं। ‘आग की प्यास’ रांगेय राघव का एक बहुचर्चित उपन्यास है, जिसकी कथावस्तु के केंद्र में ग्रामीण जीवन है – वहाँ की राजनीति, अर्थव्यवस्था और बदलता हुआ सामाजिक-धार्मिक परिवेश। लेकिन मुख्य कथावस्तु अर्थकेंद्रित है। समाज के कुछ इने-गिने लोगों की धन की प्यास कैसे वृहत्तर समुदाय का जीवन नारकीय बनाती जा रही है, यह इस उपन्यास में प्रभावशाली ढंग से चित्रित हुआ है।

अगर शासन आम आदमी के जीवन को दूभर बना देनेवाली, दिनोदिन बढ़ती महँगाई को नहीं रोक पा रहा है, तो इसके पीछे भी उन्हीं अर्थपिशाचों का हाथ है। वे अपनी आर्थिक शक्ति से राजनीति को नियंत्रित करते हैं। राजनीति और अर्थव्यवस्था के इस चोली-दामन संबंध को उजागर करने के साथ-साथ लेखक ने शहरी चेतना से आक्रांत ग्रामीण जीवन का भी विश्वसनीय चित्र इस उपन्यास में प्रस्तुत किया है। कुल मिलाकर यह उपन्यास आज के गाँवों की जिंदगी का एक जीवंत दस्तावेज है।

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