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उपन्यास >> छविगृह में अँधेरा है

छविगृह में अँधेरा है

सुनील गंगोपाध्याय

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 9229
आईएसबीएन :8126710217

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छविगृह में अँधेरा है....

Chhavigriha Mein Andhera Hai - A Hindi Book by Sunil Gangopadhyay

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

छविगृह में अँधेरा है... बंगला-साहित्य के मूर्धन्य रचनाकार सुनील गंगोपाध्याय की यह कृति उनके महत्त्वपूर्ण औपन्यासिक रचनाओं में शुमार है। इसमें दो परिवारों की कहानी समान्तर धाराओं में चलती है। एक परिवार पूँजीपति शिवशंकर लाहिड़ी का है जिसने अपने एक सिनेमा हॉल को अपनी जिद के कारण बंद कर दिया है और हड़ताली कर्मचारियों के आगे झुकने को किसी भी हालत में तैयार नहीं है। दूसरी कहानी उसी सिनेमा हॉल के एक कर्मचारी रमेश मुखर्जी के परिवार की है जो इस हड़ताल के कारण खाने-पीने की बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज है। लेकिन विडम्बना यह है कि दोनों के बेटे अपने-अपने पिताओं से झगड़ा करके अलग रह रहे हैं। लेखक ने इस दोनों परिवारों की स्थितियों के तनाव को इतने संवेदनशील रूप से रचा है कि वह पाठकों में एक रचनात्मक बेचैनी भर देता है। इन दोनों परिवारों की कहानियों के बीच धीमी मगर विरल तय में एक प्रेम कहानी की अन्तःसलिल धारा बढ़ रही है जो मीठी आँच की तरह प्यारी और सुखद लगती है। स्थितियों, चरित्रों और घटनाओं का रचनात्मक संयोजन पाठकों को अपने बहाव में इस तरह लिये चलता है कि पाठक इस कृति को एक ही बैठक में पूरा पढ़ जाना चाहेंगे, ऐसा हमारा विश्वास है।

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