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मान भंजन

रबीन्द्रनाथ टैगोर

प्रकाशक : विश्व बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9285
आईएसबीएन :8179871789

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

गिरिबाला का भरपूर सौंदर्य और छलकता यौवन पूर्ण विकसित होने पर भी पति गोपीनाथ को लुभा न सका, क्योंकि गोपीनाथ तो थिएटर की मल्लिका लवंग की अदाओं का दीवाना था।

एक दिन गोपीनाथ लवंग को ले कर लापता हो गया. तिरस्कृत यौवना गिरिबाला भी पतिगृह को त्यागकर चली गई।

कलकत्ता के उसी थिएटर में जिस की रानी लवंग थी, आज ‘मनोरमा’ का जादू दर्शकों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। नई नायिका के रूपयौवन की चर्चा गोपीनाथ को भी थिएटर खींच ले गई, लेकिन मनोरमा को देखते ही गोपीनाथ विक्षिप्त सा हो गया। आखिर मनोरमा कौन थी ?

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवींद्रनाथ टैगोर के कहानी संग्रह ‘मान भंजन’ में मानव मनोवृत्तियों का सजीव चित्रण किया गया है। उन की रचनाएं किसी काल विशेष को न हो कर आज भी पूर्ववत प्रभावोत्पादक हैं। इसीलिए ये पाठकों के इतनी नजदीक हैं।

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