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गीता प्रेस, गोरखपुर >> सब साधनों का सार

सब साधनों का सार

स्वामी रामसुखदास

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :76
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 960
आईएसबीएन :81-293-0491-0

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प्रस्तुत पुस्तक में साधकों को सुगमतापूर्वक परमात्मतत्त्व की प्राप्ति का मार्ग बतलाया गया है।

Sab Sadhanon Ka Sar A Hindi Book by Swami Ramsukhdas

प्रस्तुत हैं इसी पुस्तक के कुछ अंश

नम्र निवेदन


शीघ्र एवं सुगमतापूर्वक परमात्मतत्त्व की प्राप्ति चाहने वाले साधकों का मार्ग दर्शन करने के लिए परमश्रद्धेय श्रीस्वामीजी महाराज की पुस्तकों का पारमार्थिक जगत् में विशेष स्थान है। इन पुस्तकों से पारमार्थिक जगत् में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन आया है। कारण कि इनमें गुह्यतम आध्यात्मिक विषयों को सीधे-सरल ढंग से प्रस्तुत किया गया है, जिससे साधक इधर-उधर न भटककर सीधी राह पकड़ सके।

 प्रस्तुत पुस्तक ‘सब साधनों का सार’ भी इसी तरह की पुस्तक है, जो प्रत्येक मार्ग के साधक के लिये अत्यन्त उपयोगी है। सार बात हाथ लग जाय तो फिर सब साधन सुगम हो जाते हैं।
 परन्तु साधक का उद्देश्य अनुभव करने का होना चाहिए, कोरी बातें सीखने और दूसरों को सुनाने का नहीं। सीखा हुआ ज्ञान अभिमान बढ़ाने के सिवाय और कुछ काम नहीं आता। अतः पाठकों से नम्र निवेदन है कि वे अनुभव उद्देश्य से इस पुस्तक का गम्भीरता पूर्वक अध्ययन करें और लाभ उठायें।

-प्रकाशक


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