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पाठ सम्पादन के सिद्धान्त

कन्हैया सिंह

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :157
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 9863
आईएसबीएन :9788180311529

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

प्राचीन कवियों के पाठों का जैसा वैज्ञानिक सम्पादन चाहिए, वैसा हिंदी में कम हुआ है। जायसी और तुलसी के पाठ-सम्पादन के महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं। अन्य कवियों के पाठों के अभी इतने संतोषजनक परिणाम नहीं मिले हैं। भाषा विषयक शोध, ऐतिहासिक शोध तथा रचनाकार की साहित्यिक सैद्दांतिक समालोचना के लिए सर्वप्रथम उसकी रचना का मूलपाठ स्थिर होना आवश्यक होता है। इस पुस्तक में पाठ-सम्पादन के सिद्धांत और अन्य सहायक विषयों की चर्चा की गयी है।

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