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वायुपुत्रों की शपथ

आनंद नीलकंठन

प्रकाशक : वेस्टलेण्ड लिमिटेड प्रकाशित वर्ष : 2013
पृष्ठ :552
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9990
आईएसबीएन :9789383260003

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

‘अमीश… पूरब के पाउलो कोएलो बनते नज़र जा रहे हैं।’
- बिज़नेस वर्ल्ड

बुराई सामने आ चुकी है।

मात्र प्रभु ही उसे रोक सकते हैं।

शिव अपनी शक्तियां जुटा रहा है। वह नागाओं की राजधानी पंचवटी पहुंचता हैं और अंततः बुराई का रहस्य सामने आता है। नीलकंठ अपने वास्तविक शत्रु के विरुद्ध धर्म युद्ध की तैयारी करता है। एक ऐसा शत्रु जिसका नाम सुनते ही बड़े से बड़ा योद्धा थर्रा जाता है।

एक के बाद एक होने वाले नृशंस युद्ध से भारतवर्ष की चेतना दहल उठती है। ये युद्ध भारत पर हावी होने के षड्यंत्र हैं। इनमें अनेक लोग मारे जाएंगे। लेकिन शिव असफल नहीं हो सकता, चाहे जो भी मूल्य चुकाना पड़े। अपने साहस से वह वायुपुत्रों तक पहुंचता है, जो जब तक उसे अपनाने को तैयार नहीं थे।

क्या वह सफल हो पाएगा ? और बुराई से लड़ने का क्या मूल्य चुकाना पड़ेगा ? भारतवर्ष को ? और शिव की आत्मा को ?

बेस्टसेलिंग शिव रचना त्रय की यह अंतिम कड़ी आपके सामने सभी रहस्य खोल देगी।

‘‘मौलिक और रोमांचक... अमीश की किताबें चेतना को गहराई तक झकझोर देती हैं।’
- दीपक चोपड़

‘दमदार लेखन शेली।’
- शशि थरूर

‘पन्ना दर पन्ना ज़बरदस्त एक्शन।’
- अनिल धारकर

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