आलोचना
|
राग दरबारी आलोचना की फाँसरेखा अवस्थी
मूल्य: Rs. 600 राग दरबारी पर यह पहली आलोचना पुस्तक है आगे... |
|
प्रेमचंद एक तलाशश्रीराम त्रिपाठी
मूल्य: Rs. 450 आलोचक श्रीराम त्रिपाठी ने वस्तुतः हिन्दी और उर्दू में समानरूपेण समादृत अमर कथाशिल्पी मुंशी प्रेमचन्द को उनकी रचनाओं में तलाश किया है। आगे... |
|
प्रेमचंद और उनका युगरामविलास शर्मा
मूल्य: Rs. 700 इस पुस्तक में विद्वान लेखक ने प्रेमचंद की कृतियों का मूल्यांकन ऐतिहासिक सन्दर्भ और सामाजिक परिवेश की पृष्ठभूमि में किया है। आगे... |
|
प्रेमचंद और भारतीय समाजनामवर सिंह
मूल्य: Rs. 250 आधुनिक रचनाकारों में इकलौते प्रेमचन्द ही हैं जिनमें हिन्दी के शीर्ष स्थानीय मार्क्सवादी आलोचक प्रो. नामवर सिंह की दिलचस्पी निरन्तर बनी रही है। प्रेमचन्द पर विभिन्न अवसरों पर दिये गए व्याख्यान एवं उन पर लिखे गए आलेख इस पुस्तक में एक साथ प्रस्तुत हैं। आगे... |
|
प्रेमचंद : विगत महत्ता और वर्तमान अर्थवत्तामुरली मनोहर प्रसाद सिंह
मूल्य: Rs. 995
दस्तावेज़ी महत्त्व के साथ-साथ यह पुस्तक प्रेमचन्द के पाठकों के लिए भी बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। आगे... |
|
प्रेमचंद: एक साहित्यिक विवेचननन्द दुलारे वाजपेयी
मूल्य: Rs. 250 महान कथाकार प्रेमचंद के संपूर्ण कथा–साहित्य को उसकी सभी विशेषताओं और विफलताओं के साथ विश्लेषित करने का प्रयास यहाँ लेखक ने किया है। आगे... |
|
प्राचीन भारत के कलामक विनोदहजारी प्रसाद द्विवेदी
मूल्य: Rs. 400
इसमें लेखक ने गुप्तकाल के कुछ सौ वर्ष पूर्व से लेकर कुछ सौ वर्ष बाद तक के साहित्य का अवगाहन करते हुए उस काल के भारतवासियों के उन कलात्मक विनोदों का वर्णन किया है जिन्हें जीने की कला कहा जा सकता है। आगे... |
|
फिलहालअशोक वाजपेयी
मूल्य: Rs. 250 कविता को फिर जीवित तात्कालिकता देने के लिए और काव्य-भाषा को, जो बिंबों में फँसकर गतिहीन और जड़ हो चुकी थी; ताजगी और जीवंतता देने के लिए, युवा कवियों ने अगर सपाटबयानी की ओर रुख किया तो यह स्वाभाविक और जरूरी ही था। आगे... |
|
निराला की साहित्य साधना : खंड-1-3रामविलास शर्मा
मूल्य: Rs. 2985
निराला के व्यक्तित्व के जटिल और सूक्ष्म अन्तर्विरोधों से निःसृत कृतित्व का इस पुस्तक में मर्मस्पर्शी मूल्यांकन हुआ है जो अत्यन्त दुर्लभ तो है ही, बेमिसाल भी है। आगे... |
|
निराला काव्य की छवियाँनन्दकिशोर नवल
मूल्य: Rs. 350 निराला-काव्य के अध्येता डॉ. नंदकिशोर नवल ने, जो निराला रचनावली के संपादक भी हैं; प्रस्तुत पुस्तक में निस्संदेह निराला के काव्य-लोक की बहुत ही भव्य फलक दिखलाई है। आगे... |