लोगों की राय

राधाकृष्ण प्रकाशन की पुस्तकें :

उपन्यास का काव्यशास्त्र

बच्चन सिंह

मूल्य: Rs. 350

मूलतः पुस्तक में सिद्धान्त बरक्स रचना का विवेचन है। विभिन्न उपन्यासों और कहानियों को यहाँ पर एक दृष्टिकोण से विवेचित किया गया है। प्रबुद्ध पाठक इससे टकरा भी सकते हैं और इसे आगे भी बढ़ा सकते हैं।   आगे...

उपन्यासों के रचना प्रसंग

कुसुम वार्ष्णेय

मूल्य: Rs. 350

निश्चय ही यह कृति पाठकों को उपयोगी और रोमांचक लगेगी।   आगे...

उपन्यासों के सरोकार

ई विजयलक्ष्मी

मूल्य: Rs. 250

इस दौर में स्त्री, दलित और जनजातीय समाज लगातार बहस के केन्द्र में अपनी जगह बना रहे हैं...

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उपभोक्ता अदालतें स्वरूप एवं संभावनाएं

प्रेमलता

मूल्य: Rs. 225

इस पुस्तक के माध्यम से एक छोटा-सा प्रयास किया गया है कि हम उपभोक्ता के पास जा सकें, उन्हें यह सामान्य जानकारी दे सकें कि वास्तव में उपभोक्ता अदालतें हैं क्या?   आगे...

उपभोक्ता वस्तुओं का विज्ञान

रमचन्द्र मिश्र

मूल्य: Rs. 150

बाजार में नित नये प्रकार की उपभोक्ता वस्तुओं की बड़ी रेलम-पेल है, यह भी खाओ, वह भी खाओ जैसे सोचने के बजाय क्या खाएं, क्या छोड़ें यह समझने की जरूरत आज सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है....   आगे...

उपयात्रा

मोहम्मद आरिफ

मूल्य: Rs. 250

लेखक ने समय की विसंगतियों और विडम्बनाओं को झेल रहे एक नवयुवक के अन्तर्द्वन्द्वों को बहुत ही गहराई से उभारा है। बीसवीं शताब्दी के आखिरी कुछ वर्षों में हिन्दीभाषी समाज में आई उथल-पुथल को समझने की दृष्टि से यह एक उल्लेखनीय कृति है।   आगे...

उम्मीद अब भी बाकी है

रविशंकर उपाध्याय

मूल्य: Rs. 200

युवा कवि रविशंकर उपाध्याय से मेरी पहली और शायद अन्तिम भी, भेंट मेरी पिछली बनारस-यात्रा (30 अप्रैल, 2014) में लाल बहादुर शास्त्री हवाईअड्डा पर हुई थी। उन्होंने अपना परिचय दिया और यह भी बताया कि वे एक कवि हैं। इससे पहले उनकी कविताएँ यहाँ-वहाँ छपी थीं, शायद उन पर मेरी निगाह पड़ी हो पर मैं उन्हें रजिस्टर नहीं कर सका था। यह भेंट प्रचण्ड गर्मी के बीच हुई थी, जब वे मेरी अगुवानी में हवाईअड्डा आए थे। रास्ते-भर उनसे काफी बातें होती रहीं। अब याद करता हूँ तो दो बातें मेरी स्मृति में खास तौर से दर्ज हैं। पहली समकालीन हिन्दी कविता के बारे में उनकी विस्तृत और गहरी जानकारी और दूसरी, कुछ कवियों और कविताओं के बारे में उनकी अपनी राय। इन दोनों बातों ने मुझे प्रभावित किया था।

बाद में विश्वविद्यालय में जो कार्यक्रम हुआ उसमें उनकी कविताएँ भी मैंने सुनीं और उन कविताओं की एक अलग ढंग की स्वरलिपि मेरे मन में अब भी अंकित है। मैं शायद दो दिन विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में रुका था और इस बीच लगातार उनसे मिलना होता रहा। उनसे मेरी अन्तिम भेंट विश्वविद्यालय परिसर में विश्वनाथ मन्दिर के बाहर एक चाय की दुकान पर हुई थी, जहाँ उनके कुछ गुरुजन भी थे। वहाँ मैंने उनकी कविता में जो एक गहरी ऐन्द्रियता और एक खास तरह की गीतात्मकता है, उस पर चर्चा की थी। पर ये दो शब्द उनकी कविता की पूरी तस्वीर नहीं पेश करते।

अब जब उनका पहला संग्रह आ रहा है और कैसी विडम्बना कि उनके न होने के बाद आ रहा है। इसे पढ़कर पाठकों को उनका ज्यादा प्रामाणिक परिचय मिलेगा। रविशंकर के बारे में कहने के लिए बहुत-सी बातें हैं पर मैं चाहता हूँ कि यह संग्रह ही लोगों से बोले-बतियाए। मैं इस युवा कवि की स्मृति को नमन करता हूँ!   आगे...

उलुआ बुलुआ और मैं

रामसागर प्रसाद सिंह

मूल्य: Rs. 595

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उसे लौट आना चाहिये

सुदीप बनर्जी

मूल्य: Rs. 150

मैं शायद ज़रूरत से ज़्यादा सतर्क और सजग अपनी कविताओं के बारे में हूँ - इसलिए उनसे डरता रहता हूँ।   आगे...

एक कहानी यह भी

मन्नू भंडारी

मूल्य: Rs. 250

यह आत्मसंस्मरण मन्नूजी की जीवन-स्थितियों के साथ-साथ उनके दौर की कई साहित्यिक-सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों पर भी रोशनी डालता है...   आगे...

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