| शब्द का अर्थ | 
					
				| ऊषा					 : | स्त्री० [सं० भष्+क-टाप्] १. दिन चढ़ने से पहले का वह समय जब अँधेरा रहने पर भी पूर्व में उदित होने वाले सूर्य की लाली दिखाई देती है। तड़का। प्रभात। २. पौ फटने के समय दिखाई देनेवाली उक्त लाली। अरुणोदय की अरुणिमा। ३. बाणासुर की कन्या जो अनिरुद्ध को ब्याही थी। ऊषा-कर | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| ऊषा-काल					 : | पुं० [ष० त०] १. तड़का। प्रभात। २. प्रातःकाल। सबेरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| ऊषा-पति					 : | पुं० [ष० त०] श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध, जो बाणासुर की कन्या ऊषा के पति थे। | 
			
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				| ऊषा					 : | स्त्री० [सं० भष्+क-टाप्] १. दिन चढ़ने से पहले का वह समय जब अँधेरा रहने पर भी पूर्व में उदित होने वाले सूर्य की लाली दिखाई देती है। तड़का। प्रभात। २. पौ फटने के समय दिखाई देनेवाली उक्त लाली। अरुणोदय की अरुणिमा। ३. बाणासुर की कन्या जो अनिरुद्ध को ब्याही थी। ऊषा-कर | 
			
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				| ऊषा-काल					 : | पुं० [ष० त०] १. तड़का। प्रभात। २. प्रातःकाल। सबेरा। | 
			
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				| ऊषा-पति					 : | पुं० [ष० त०] श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध, जो बाणासुर की कन्या ऊषा के पति थे। | 
			
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