| शब्द का अर्थ | 
					
				| कुंजर					 : | पुं० [सं० कुंज+र] [स्त्री० कुंजरा, कुंजरी] १. हाथी। २. आठ दिग्गजों के कारण आठ की संख्या का वाचक शब्द। ३. हस्त नक्षत्र। ४. कच। बाल। ५. पीपल। ६. एक प्राचीन देश। ७. अंजना के पिता और हनुमान के नाना का नाम। ८. छप्पय के छंद का इक्कीसवाँ भेद जिसमें ५॰ गुरु और ५२ लघु अर्थात् कुल १॰२ वर्ण और १५२ मात्राएँ अथवा ५॰ गुरु और ४ ८ लघु अर्थात् कुल ९८ वर्ण और १४८ मात्राएँ होती है। ९. पाँच मात्राओं वाले छंदों के प्रस्तार में पहला प्रस्तार। वि० उत्तम। श्रेष्ठ। जैसे—नर-कुंजर। | 
			
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				| कुंजर-कण					 : | स्त्री० [मध्य० स०] गज-पीपल (ओषधि)। | 
			
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				| कुंजर-दरी					 : | स्त्री० [ब० स०] मलय के पास के एक प्रदेश का पुराना नाम। | 
			
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				| कुंजर-पिपली					 : | स्त्री० [मध्य० स०] गज-पीपल (ओषधि)। | 
			
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				| कुंजरा					 : | स्त्री० [सं० कुंजर+टाप्] हथिनी। | 
			
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				| कुंजराराति					 : | पुं० [सं० कुंजर-अराति, ष० त०] हाथी का शत्रु, सिंह। शेर। | 
			
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				| कुंजरारोह					 : | पुं० [सं० कुंजर-आरोह, ष० त०] महावत। हाथीवान। | 
			
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				| कुंजराशन					 : | पुं० [सं० कुंजर-अशन, ष० त०] हाथी का भोज्य या खाद्य पीपल। | 
			
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				| कुंजरी					 : | स्त्री० [सं० कुंजर+ङीष्] हथिनी। | 
			
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