| शब्द का अर्थ | 
					
				| दीप्त					 : | वि० [सं०√दीप्+क्त] [स्त्री० दीप्ता] १. जलता हुआ। प्रज्वलित। २. चमकता या जगमगाता हुआ। प्रकाशित। पुं० १. सोना। स्वर्ण। २. हींग। ३. नींबू। ४. सिंह। शेर। ५. एक रोग जिसमें नाक में जलन होती है तथा उसमें से गरम हवा निकलती है। | 
			
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				| दीप्तक					 : | पुं० [सं० दीप्त+क (स्वार्थे)] १. सोना। सुवर्ण। २. दे० ‘दीप्त’ (नाक का रोग)। | 
			
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				| दीप्त-किरण					 : | पुं० [ब० स०] १. सूर्य। २. आक। मदार। | 
			
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				| दीप्त-कीर्ति					 : | पुं० [ब० स०] कार्तिकेय। | 
			
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				| दीप्त-केतु					 : | पुं० [ब० स०] दक्ष सावर्णि मनु के एक पुत्र का नाम। (भागवत) | 
			
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				| दीप्त-जिह्वा					 : | स्त्री० [ब० स०] १. मादा गीदड़। सियारिन। २. लाक्षणिक अर्थ में, झगड़ालू स्त्री। | 
			
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				| दीप्त-पिंगल					 : | पुं० [उपमि० स०] सिंह। | 
			
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				| दीप्त-रस					 : | पुं० [ब० स०] केंचुआ। | 
			
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				| दीप्त-रोमा (मन्)					 : | पुं० [ब० स०] एक विश्वदेव का नाम। (महाभारत) | 
			
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				| दीप्त-लोचन					 : | पुं० [ब० स०] बिल्ला। | 
			
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				| दीप्त-लौह					 : | पुं० [कर्म० स०] काँसा। | 
			
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				| दीप्त-वर्ण					 : | वि० [ब० स०] चमकते या दमकते हुए वर्णमाला। पुं० कार्तिकेय। | 
			
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				| दीप्त-शक्ति					 : | पुं० [ब० स०] कार्तिकेय। | 
			
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				| दीप्तांग					 : | वि० [दीप्त-अंग, ब० स०] जिसका शरीर चमकता हो। पुं० मोर पक्षी। मयूर। | 
			
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				| दीप्तांशु					 : | पुं० [दीप-अंशु, ब० स०] १. सूर्य। २. आक। मदार। | 
			
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				| दीप्ता					 : | वि० स्त्री० [सं० दीप्त+टाप्] चमकती हुई। प्रकाशमान। जैसे—सूर्य के प्रकाश से दीप्ता दिशा। स्त्री० १. ज्योतिष्मती। मालकंगनी। २. कलियारी। ३. सातला (थूहर)। | 
			
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				| दीप्ताक्ष					 : | वि० [दीप्त-अक्षि, ब० स० (षच् समा०)] चमकती हुई आँखोंवाला। पुं० बिल्ला। बिड़ाल। | 
			
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				| दीप्ताग्नि					 : | वि० [दीप्त-अग्नि, ब० स०] १. जिसकी जटराग्नि बहुत तीव्र हो। जिसकी पाचन-शक्ति अत्यंत प्रबल हो। २. जिसे बहुत भूख लगी हो। भूखा। पुं० अगस्त्य मुनि जो वातापि राक्षस को खाकर पचा गये थे और समुद्र का सारा जल पी गये। स्त्री० प्रज्वलित अग्नि। | 
			
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				| दीप्ति					 : | स्त्री० [सं०√दीप्+क्तिन्] १. दीप्त होने की अवस्था या भाव। प्रकाश। उजाला। रोशनी। २. आभा। चमक। ३. छवि। शोभा। ४. योग में ज्ञान का प्रकाश जिससे हृदय का अंधकार दूर होता है। ५. लाक्षा। लाख। ६. काँसा। ७. थूहर। ८. एक विश्व-देव का नाम। | 
			
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				| दीप्तिक					 : | पुं० [सं० दीप्ति√कै (मालूम पड़ना)+क] शिरशोला। दुग्धपाषाण वृक्ष। | 
			
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				| दीप्तिमान् (मत्)					 : | वि० [सं० दीप्ति+मतुप्] [स्त्री० दीप्तिमती] १. दीप्तयुक्त। प्रकाशित। चमकता हुआ। २. कांति या शोभा से युक्त। पुं० श्रीकृष्ण के एक पुत्र, जो सत्यभामा के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। | 
			
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				| दीप्तोद					 : | पुं० [दीप्त-उदक, ब० स० उद आदेश] एक प्राचीन तीर्थ-क्षेत्र जिसमें बहनेवाली वसूधर नामक नदी में स्नान करके परशुराम ने अपना खोया हुआ तेज फिर से प्राप्त किया था। इसी क्षेत्र में महर्षि भृगु ने भी कठोर तपस्या की थी। | 
			
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				| दीप्तोपल					 : | पुं० [सं० दीप्त-उपल, कर्म० स०] सूर्यकांत मणि। | 
			
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