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उड़ाना  : स० [हिं० उड़ना का स०और प्रेरणार्थक रूप] १. जो उड़ना जानता हो,उसे उडऩे में प्रवृत्त करना। जैसे—(क) खेत में बैठी हुई चिड़ियों को उड़ाना। (ख) शरीर पर बैठा हुआ मच्छर या मक्खी उड़ाना। (ग) खेल,तमाशे या शौक के लिए कबूतर उड़ाना आदि। २. जो चीज हवा में उठकर इधर-उधर आ जा सकती हो,उसे हवा में उठा कर गति देना। ऐसी क्रिया करना जिससे कोई चीज हवा में उड़ने या चलने लगे। जैसे—गुड्डी उड़ाना,हवाई जहाज उड़ाना आदि। उदाहरण—चहत उड़ावन फूँकि पहारू।—तुलसी। ३. कोई चीज इतनी तेजी के चलाना कि वह हवा में उड़ती सी हुई जान पड़े। जैसे—वह घोड़ा (या मोटर) उड़ाता चला जा रहा था। ४. ऐसा आघात या प्रहार करना कि कोई चीज या उसका कोई अंश कटकर अलग हो जाय या दूर जा पड़े। जैसे—(क) हथेली पर नीबू रखकर उसे तलवार से उड़ाना। (ख) तलवार से किसी का सिर या बारूद से पहाड़ की चट्टान उड़ाना। ५. ऐसा आघात या प्रहार करना जो ऊपर से उड़कर नीचे आता हुआ जाना पड़े। कसकर या जोर से जमाना या लगाना। जैसे—(क) राह-चलतों ने भी उन बेचारों पर दो —चार हाथ उड़ा दिये। (ख) जहाँ पुलिस ने दो-चार बेंत उड़ाये,तहाँ वह सब बातें बतला देगा। ६. ऐसा आघात या प्रहार करना कि कोई चीज पूरी तरह से छिन्न-भिन्न या नष्ट-भ्रष्ट हो जाय। चौपट या बरबाद करना। जैसे—तोपों की मार से गाँव या नगर उड़ाना, बारूद से पुल उड़ाना आदि। ७. न रहने देना। मिटा देना। जैसे—(क) सूची में से नाम उड़ाना। (ख) कपड़े पर से स्याही का धब्बा उड़ाना आदि। ८. (किसी वस्तु या व्यक्ति को) कहीं से इस प्रकार हटा ले जाना कि किसी को पता न चले। जैसे—(क) किसी दुकान से किताब, घड़ी या धोती उड़ाना। (ख) कहीं से कोई औरत उड़ाना आदि। ९. लाक्षणिक रूप में, केवल दूर से देखकर (चालाकी या चोरी से) किसी की कोई कला-कौशल, विद्या, शिल्प आदि इस प्रकार समझ और सीख लेना कि सहज में उसका अनुकरण या आवृत्ति की जा सके। जैसे—तुम्हारी यह विद्या तो कहीं से उड़ाई हुई जान पड़ती है। १. बहुत निर्दय या निर्भय होकर किसी चीज या बात का मनमाना उपयोग, व्यय आदि करना। जैसे—दो ही बरसों में उसने लाखों की संपत्ति उड़ा दी। ११. केवल सुख-भोग के विचार से किसी चीज या बात का अनुचित रूप से और आवश्यकता से अधिक उपयोग या व्यवहार करना। जैसे—मिठाई या हलुआ-पूरी उड़ाना, किसी के साथ मजा या मौजें उड़ाना आदि। १२. वार्त्ता, समाचार आदि ऐसे ढंग से और इस उद्देश्य से लोक में प्रचलित करना कि वह दूर-दूर तक फैल जाय। जैसे—किसी के भाग जाने या मरने की झूठी खबर उड़ाना। १३. उधर-इधर की या उलटी-सीधी बातें बनाकर ऐसी स्थिति उत्पन्न करना कि लोग धोखे में रहें और असल बात तक पहुँच न सकें। बातें बनाकर चकमा या भुलावा देना। जैसे—(क) (क) फिर तुम लगे हमें बातों में उड़ाने। (ख) तुम्हारें जैसे उड़ाने वाले बहुत देखे है। अ=उड़ना। उदाहरण—लरिकाँई जँह-जँह फिरहिं तँह-तँह संग उड़ाउँ।—तुलसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उड़ाना  : स० [हिं० उड़ना का स०और प्रेरणार्थक रूप] १. जो उड़ना जानता हो,उसे उडऩे में प्रवृत्त करना। जैसे—(क) खेत में बैठी हुई चिड़ियों को उड़ाना। (ख) शरीर पर बैठा हुआ मच्छर या मक्खी उड़ाना। (ग) खेल,तमाशे या शौक के लिए कबूतर उड़ाना आदि। २. जो चीज हवा में उठकर इधर-उधर आ जा सकती हो,उसे हवा में उठा कर गति देना। ऐसी क्रिया करना जिससे कोई चीज हवा में उड़ने या चलने लगे। जैसे—गुड्डी उड़ाना,हवाई जहाज उड़ाना आदि। उदाहरण—चहत उड़ावन फूँकि पहारू।—तुलसी। ३. कोई चीज इतनी तेजी के चलाना कि वह हवा में उड़ती सी हुई जान पड़े। जैसे—वह घोड़ा (या मोटर) उड़ाता चला जा रहा था। ४. ऐसा आघात या प्रहार करना कि कोई चीज या उसका कोई अंश कटकर अलग हो जाय या दूर जा पड़े। जैसे—(क) हथेली पर नीबू रखकर उसे तलवार से उड़ाना। (ख) तलवार से किसी का सिर या बारूद से पहाड़ की चट्टान उड़ाना। ५. ऐसा आघात या प्रहार करना जो ऊपर से उड़कर नीचे आता हुआ जाना पड़े। कसकर या जोर से जमाना या लगाना। जैसे—(क) राह-चलतों ने भी उन बेचारों पर दो —चार हाथ उड़ा दिये। (ख) जहाँ पुलिस ने दो-चार बेंत उड़ाये,तहाँ वह सब बातें बतला देगा। ६. ऐसा आघात या प्रहार करना कि कोई चीज पूरी तरह से छिन्न-भिन्न या नष्ट-भ्रष्ट हो जाय। चौपट या बरबाद करना। जैसे—तोपों की मार से गाँव या नगर उड़ाना, बारूद से पुल उड़ाना आदि। ७. न रहने देना। मिटा देना। जैसे—(क) सूची में से नाम उड़ाना। (ख) कपड़े पर से स्याही का धब्बा उड़ाना आदि। ८. (किसी वस्तु या व्यक्ति को) कहीं से इस प्रकार हटा ले जाना कि किसी को पता न चले। जैसे—(क) किसी दुकान से किताब, घड़ी या धोती उड़ाना। (ख) कहीं से कोई औरत उड़ाना आदि। ९. लाक्षणिक रूप में, केवल दूर से देखकर (चालाकी या चोरी से) किसी की कोई कला-कौशल, विद्या, शिल्प आदि इस प्रकार समझ और सीख लेना कि सहज में उसका अनुकरण या आवृत्ति की जा सके। जैसे—तुम्हारी यह विद्या तो कहीं से उड़ाई हुई जान पड़ती है। १. बहुत निर्दय या निर्भय होकर किसी चीज या बात का मनमाना उपयोग, व्यय आदि करना। जैसे—दो ही बरसों में उसने लाखों की संपत्ति उड़ा दी। ११. केवल सुख-भोग के विचार से किसी चीज या बात का अनुचित रूप से और आवश्यकता से अधिक उपयोग या व्यवहार करना। जैसे—मिठाई या हलुआ-पूरी उड़ाना, किसी के साथ मजा या मौजें उड़ाना आदि। १२. वार्त्ता, समाचार आदि ऐसे ढंग से और इस उद्देश्य से लोक में प्रचलित करना कि वह दूर-दूर तक फैल जाय। जैसे—किसी के भाग जाने या मरने की झूठी खबर उड़ाना। १३. उधर-इधर की या उलटी-सीधी बातें बनाकर ऐसी स्थिति उत्पन्न करना कि लोग धोखे में रहें और असल बात तक पहुँच न सकें। बातें बनाकर चकमा या भुलावा देना। जैसे—(क) (क) फिर तुम लगे हमें बातों में उड़ाने। (ख) तुम्हारें जैसे उड़ाने वाले बहुत देखे है। अ=उड़ना। उदाहरण—लरिकाँई जँह-जँह फिरहिं तँह-तँह संग उड़ाउँ।—तुलसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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