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उपांग  : पुं० [सं० उप-अंग, अत्या० स०] १. किसी वस्तु के किसी अंग या भाग का गौण या छोटा अंग। २. ऐसा छोटा अंग जिससे किसी बड़े अंग की पूर्ति होती हो। जैसे—धर्मशास्त्र, पुराण आदि वेदों के उपांग हैं। ३. टीका। तिलक। ४. एक प्रकार का पुराना बाजा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपांग  : पुं० [सं० उप-अंग, अत्या० स०] १. किसी वस्तु के किसी अंग या भाग का गौण या छोटा अंग। २. ऐसा छोटा अंग जिससे किसी बड़े अंग की पूर्ति होती हो। जैसे—धर्मशास्त्र, पुराण आदि वेदों के उपांग हैं। ३. टीका। तिलक। ४. एक प्रकार का पुराना बाजा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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